Book Title: Tao Upnishad Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 9
________________ 111 131 86. आत्म-ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है 87. धारणारहित सत्य और शर्तरहित श्रद्धा 88. जीवन और मृत्यु के पार 89. ताओ या धर्म पारनैतिक है 90. पुनः अपने मूल स्रोत से जुड़ो 91. धर्म का मुख्य पथ सरल है 92. संगठन, संप्रदाय, समृद्धि, समझ और सुरक्षा 93. धर्म है समग्र के स्वास्थ्य की खोज 94. शिशुवत चरित्र ताओ का लक्ष्य है 95. सत्य कह कर भी नहीं कहा जा सकता 96. आदर्श रोग है; सामान्य व स्वयं होना स्वास्थ्य 97. शासन जितना कम हो उतना ही शुभ 98. नियमों का नियम प्रेम व स्वतंत्रता है 99. मेरी बातें छत पर चढ़ कर कहो। 100. कृष्ण में राम-रावण आलिंगन में हैं 101. स्त्रैण गुण से बड़ी कोई शक्ति नहीं 102. ताओ की भेंट श्रेयस्कर है 103. स्वादहीन का स्वाद लो। 104. जो प्रारंभ है वही अंत है 105. वे वही सीखते हैं जो अनसीखा है 106. धर्म की राह ही उसकी मंजिल है 153 177 199 221 239 263 281 301 319 337 357 377 401

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