Book Title: Syadvadni Sarvotkrushtata
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan

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Page 91
________________ " मेरा एक मित्र एक बार किसी डिनर पार्टी में गया। उसके पास बैठी हुई एक महिलाने कहा - प्राध्यापक महोदय ! क्या आप मुझे थोडे शब्दो में बताने का कष्ट करेंगे कि वास्तव में सापेक्षवाद है क्या ?” उसने विस्मित मुद्रा में उत्तर दिया- क्या तुम यह चाहोगी कि उसके पूर्व मै तुम्हें एक कहानी सुना दूँ। में एक बार अपने एक फ्रांसीसी मित्र के साथ सैर के लिये गया । चलते-चलते हम दोनों प्यासे हो गये । इतने में हम एक खेत पर आये । मैंने अपने मित्र से कहा । यहां हमें कुछ दूध खरीद लेना चाहिये । उसने कहा दूध क्या होता है ? मैंने कहा- तुम नहीं जानते ? पतला और धोला धोला... उसने कहा- धोला क्या होता हैं ? मैंने कहा धोला होता है जैसा बतक । उसने कहा, बतक क्या होता है ? एक पक्षी जिसकी गर्दन मोडदार होती है । उसने कहा मोड क्या होती है ? मैंने अपनी बाँहको इस प्रकार से टेढी करके उसे दिखाया के मोडदार इसे कहते हैं । तब उसने कहा- अच्छा अब मैं समज गया दूध क्या है ? इस कहानी को सुन लेने के बाद भद्र - महिला ने कहा- मुझे सापेक्षवाद क्या है अब यह जानने की कोई दिलचस्पी नहीं रही हैं । (Cosmology old & new P. 197 ) " (वैनहर्शन और आधुनि विज्ञान - पृष्ठ १३ ) યુરોપના સુપ્રસિદ્ધ વૈજ્ઞાનિક આઇન્સ્ટાઇન સાપેક્ષવાદના સંબંધમાં જણાવે છે કે - 80

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