Book Title: Swetambar Sampraday ke Gaccho ka Samanya Parichay
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf

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Page 15
________________ शिवप्रसाद के रूप में इस गच्छ का उल्लेख प्राप्त होता है। इस गच्छ से सम्बद्ध वि.सं. 1110 से वि.सं. 1283 तक के कुछ प्रतिमालेख प्राप्त हुए है। पिण्डनियुक्तिवृत्ति [ रचनाकाल वि.सं. 1160 / ई. सन् 11041 के रचयिता वीरगणि अपरनाम समुद्रघोषसूरि इसी गच्छ के थे। इस गच्छ के प्रवर्तन कौन थे, यह गच्छ कब अस्तित्व में आया, इस बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती। 51 सरवाल जैनों की कोई ज्ञाति थी अथवा किसी स्थान का नाम था जहाँ से यह गच्छ अस्तित्व में आया, यह अन्वेषणीय है। Jain Education International 128 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org/

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