Book Title: Swarup Deshna Vimarsh
Author(s): Vishuddhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shraman Sanskruti Seva samiti

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Page 11
________________ सम्पादकीय एक सफल सार्थक संगोष्ठी स्वरूप देशना-मेरी दृष्टि में बात 3 -4 साल पुरानी है, झाँसी के पास स्थित जैन तीर्थ करगुवाँजी में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के सानिध्य में एक विद्वत संगोष्ठी आयोजित की गयी थी जिसका समाचार जैन पत्र में प्रकाशित हुआ था। आचार्य श्री आज के युग में रत्नत्रय के सफल साधक हैं। ऐसी चर्चा मैं स्व० नीरज जी से तथा अन्य विद्वानों से सुन चुका था। उनके यहाँ से प्राप्त साहित्य को भी पढ़ चुका था। इसलिए मन में यह भावना थी कि संगोष्ठी में श्रोता के रूप में अवश्य जाऊँ। लेकिन व्यस्तताओं के कारण यह सम्भव नहीं हो सका । अप्रैल-मई 2012 में आचार्य श्री विराग सागर जी मुनिराज की स्वर्ण जयंती जयपुर में आयोजित की गयी। जिसमें उनके सभी प्रमुख शिष्य एक साथ एकत्रित हुए थे और लगभग 200 पिच्छियों का समागम था। इस अवसर पर आयोजित विद्वत् संगोष्ठी में मैं भी आमंत्रित था और जब संगोष्ठी के तीनों दिन रात्रिकालीन सत्र की अध्यक्षता मैंने की तब अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी को मैंने करीब से देखा । अगले दिन प्रातःकाल के सत्र में मैंने संक्षेप में अपने शोध पत्र का वाचन किया और जब मैं अपने स्थान पर बैठने जा रहा था तभी आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ का दर्शन प्राप्त हुआ। मुझे ऐसा लगा कि कोई अमूल्य वस्तु प्राप्त हो गयी हो और उस दिन आहारचर्या के बाद उनके कक्ष में उनका वात्सल्य पूर्ण सानिध्य प्राप्त करने में मैं सफल रहा। संयोग से आचार्य श्री विशुद्ध सांगर जी का 2012 का वर्षायोग आगरा के प्रमुख जैन क्षेत्र छीपीटोला में स्थापित हुआ। प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जी के साथ 2-3 बार जाने की भूमिका बनी और वहीं अक्टूबर में आयोजित संगोष्ठी का संयोजक मुझे मनोनीत कर दिया गया। पूज्य आचार्य श्री के सानिध्य में पिछले वर्ष में आयोजित संगोष्ठियाँ स्तरीय हुई थीं यह पता उन प्रकाशनों से लगा जो संगोष्ठियों के बाद प्रकाशित हुए । अतः मन में सहमा-सहमा सा किन्तु दृढ़तापूर्वक संयोजन को मैंने अपने हाथ में लिया और देश के लगभग 70-80 वरिष्ठ विद्वानों को विषय के साथ आमंत्रण पत्र भेजे। प्रसन्नता इस बात की है कि लगभग 50 विद्वानों की स्वीकृतियाँ हमें प्राप्त हुईं। दिनांक 13, 14, 15 अक्टूबर को आयोजित इस विद्वत् संगोष्ठी में देश के जिन प्रमुख विद्वानों ने भाग लिया उनमें प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन, स्व० श्री नीरज जी जैन सतना, श्री निर्मल जैन सतना, डा० रतन चन्द्र जैन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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