Book Title: Swadhyaya Is Par se Us Par Jane ki Nav Author(s): Kusum Jain Publisher: Z_Jinvani_Acharya_Hastimalji_Vyaktitva_evam_Krutitva_Visheshank_003843.pdf View full book textPage 1
________________ स्वाध्याय : 'इस पार' से 'उस पार' जाने की नाव - श्रीमती डॉ० कुसुम जैन विश्व-विख्यात वैज्ञानिक आइन्सटीन के जीवन की यह घटना प्रसिद्ध है-जब उन्होंने अपनी बिल्ली और उसके छोटे बच्चे के लिए दरवाजे में दो छेद बनवाने चाहे । बड़ा छेद बिल्ली के निकलने के लिए और छोटा छेद उसके बच्चे के निकलने के लिए........। जब उन्हें बताया गया कि एक ही बड़े छेद से बिल्ली और उसका बच्चा दोनों ही निकल सकेंगे-तो उस महान् वैज्ञानिक को यह बात बड़ी मुश्किल से समझ में आई। ___ एक दूसरी घटना भारत के पाणिनी नामक वैयाकरण के जीवन की है । पाणिनी ध्वनि के बहुत बड़े वैज्ञानिक हुए। वे कहीं जा रहे थे और उन्हें प्यास लगी पर आस-पास दूर निगाह दौड़ाने पर भी उन्हें कहीं पानी नजर नहीं आया । चलते-चलते एक मधुर आवाज ने उनका ध्यान आकर्षित किया और वे उसी दिशा में चल पड़े। आवाज बड़ी मीठी थी और बड़ी आकर्षक भी........वे चलते गये........चलते गये और पेड़ों के झुरमुट में उन्होंने स्वयं को पाया........। एक झरना चट्टानों से टकराकर नीचे गिर रहा था.......और वहाँ पेड़ों के सूखे पत्तों पर उछल-उछल कर पानी की बंदें गिर रही थीं और उससे जो मीठी ध्वनि पा रही थी........वही उन्हें वहां तक खींच लाई थी । उनकी पानी की प्यास भी बुझी और ध्वनि का मीठा संगीत भी बना........। ........और कहते हैं वही पाणिनी इस खोज में स्वयं को मिटा गये, क्योंकि वे देखना चाहते थे कि शेर की दहाड़ कैसी होती है ? कैसी उसकी आवाज है ? शेर दहाड़ता हुआ पा रहा था........और पाणिनी उसके सामने उस 'दहाड़' की ध्वनि माप रहे थे । वे उसमें इतने खो गये कि शेर ने उन्हें कब मार डाला, उन्हें इसका पता ही नहीं चला........। 'महानता' किसी की बपौती नहीं है । वह साधना और एकाग्रता चाहती है। वह चिंतन की उपज है । वह निरंतरता की कहानी है । वह विकास Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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