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STUDIES IN JAINISM
दरबारीलाल कोठिया :
सप्तद्वीप की रचना ऋषभ देव के पिता प्रियव्रतजी ने की इसके बारे में जैन पुराण में क्या दिखलाई देता है ? डी. डी. मालवणिया :
___ जैन पुराणों के अनुसार दिक या जगत् की रचना कभी हुी ही नहीं। वह अनादि है। ऋषभ देव के पिता का नाम नाभि है, प्रियव्रत नहीं। उनका सब से पुराना चरित्र अंग में नहीं उपांग में मिलता है। उपांग अंग के बाद
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कमलचंद सोगानी :
क्या सर्वज्ञता myth नहीं है ? डी. डी. मालवणिया :
कमलचंद सोगानी :
__महावीर प्रणीत तीर्थंकर का उल्लेख सर्व प्रथम किस में आता है ? वीर महान का नाम कहाँ आया है ? डी. डी. मालवणिया :
___ मेरे मतानुसार ये पुराण की बातें हैं। उस के पहले की नहीं । प्रश्न:
अढाई द्वीप की कल्पना का संबंध युरोप, आशिया, आफिका और अमरिका से है ? सागरमल जैन :
इसका स्पष्टीकरण में करना चाहता हूँ। मेरे मतानुसार यह उन्हें ज्ञात विश्व की कल्पना है। उन्होंने शायद युरोप-आशिया को एक द्वीप गिना । उन्हें अमरिका का पूरा पता न चला हो । इसलिये उन्होंने उसे आधा द्वीप गिना । उन्हें आज के आस्ट्रेलिया का पता ही न हो। डी. डी. भालवणिया :
___ मेरे मतानुसार यह बात ठीक नहीं। उन्होंने पृथ्वी का किया हुआ वर्णन प्रमाण के प्रत्यक्ष आधारपर किया है, अनुमान या अन्य किसी प्रमाण के आधारपर नहीं।