Book Title: Sramana 2016 01
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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मुनि परम्परा का विकास ऋग्वेद से लेकर महावीर तकः 49 धम्मपद- २६९ तैत्तिरीय आरण्यक, १.२७.६ हेमचन्द्र व्याकरण, ४.७ पिशेल, प्राकृत व्याकरण, पृ० ४८९ प्राकृत-पैङ्गलम्, १.७५ ऋग्वेद- १०.१३६ वैदिक इण्डेक्स, २,पृ० १६८ ऋग्वेद, १.१५२.१ वही वही, ३.३१.२ वही, १०.१.६ अथर्ववेद २.७.७ वही, ७.९४.३ ऋग्वेद- ८.५५.३
ओ० श्राडर, प्रिहिस्टॉरिक एण्टीक्विटीज, पृ० ३३३ पाद टिप्पणी। ऋग्वेद, ३.३१.२ वही, २.३५.१३ तैत्तिरीय संहिता, २.५.१.६ शतपथ ब्राह्मण, १४.९.६.७ वही, ४.५३.२ वही, १.१३३.५ वही, ५.५७.४ ऋग्वेद,३.९.३ श्रीधरस्वामीकृत भागवत- ५.५.३२ निघण्टु, २.५.६ वही, १०.४.६ वही, ३.१४ वाजसनेयी संहिता, २८-३३ ऋग्वेद, ९,८७.१ वही, १०.१८.१४ अथर्ववेद, ११.४.१५ वही, १०,२२.५ वही, ५.३२.१० निरुक्त, १२.२५ वही, १२.२६
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३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४१.
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