Book Title: Sramana 2016 01
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 103
________________ 96 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 1, जनवरी-मार्च, 2016 ३. पार्श्वनाथ मंदिर, भेलूपुर में उर्जयन्त मुनिजी के सानिध्य में दिगम्बर जैन समाज, भेलूपुर द्वारा "जैनधर्म में श्रावक एवं श्राविका चर्या' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. ओम प्रकाश सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष, पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं डॉ० श्रीनेत्र पाण्डेय, रिसर्च एसोसिएट, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। आचार्य श्री कीर्तियश सूरिश्वर जी म.सा० का पार्श्वनाथ विद्यापीठ आगमन दिनांक १९ फरवरी, २०१६ को आचार्य श्री कीर्तियश सूरिश्वर जी म०सा० ने अपनी सम्मेद शिखर यात्रा के दौरान पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में पदार्पण किया। यहाँ अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान उन्होंने शतावधानी रतनचन्द पुस्तकालय तथा पार्श्वनाथ संग्रहालय का अवलोकन किया। साथ ही पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने अपने समस्त सहकर्मियों के साथ उनका स्वागत किया। अगली सुबह आचार्य श्री कौशाम्बी के लिए प्रस्थान कर गये। लाला हरजसराय जैन स्मृति व्याख्यानमाला का तृतीय व्याख्यान ३० मार्च, २०१६ को लाला हरजस राय जैन व्याख्यानमाला के तृतीय पुष्प के रूप में डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, संयुक्त निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ का व्याख्यान 'भारतीय दार्शनिक परम्परा में पारिस्थितिकी : जैन परम्परा के विशेष सन्दर्भ में विषय पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रमुख विद्वज्जन उपस्थित थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में उत्तर पूर्व भारत की नाट्य कला एवं कलाशास्त्र पर केन्द्रित 'शास्त्र उत्सव कार्यक्रम' विषयक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं ज्ञानप्रवाह, वाराणसी के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक २९ मार्च २०१६ को किया गया। इस संगोष्ठी में जिन विद्वानों ने उत्तर-पूर्व भारत की नाट्यकला विशेष रूप से 'सत्रिया नृत्य एवं अंकिया भावना' विषय पर अपने विचार रखे उनमें मुख्य हैं- डॉ. खगेन शर्मा (आसाम), मालिनी गोस्वामी, शशधर आचार्य, (आसाम) तथा प्रो० कृष्णकान्त

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