Book Title: Sramana 1997 04 Author(s): Ashok Kumar Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 4
________________ श्रमण हिन्दी खण्ड प्रस्तुत अङ्क में डॉ० सागरमल जैन के निम्न शोध-लेख संगृहीत हैं पृष्ठ संख्या १-१९ २०-२९ ३०-५९ ६०-७० ७१-७६ १. जैनधर्म में सामाजिक चिन्तन २. अध्यात्म और विज्ञान ३. जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म का पारस्परिक प्रभाव ४. आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष ५. सम्राट अकबर और जैन धर्म ६. जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न ७. स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्रमुक्ति का प्रश्न ८. प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण-मीमांसा का अवदान ९. पं० महेन्द्र कुमार 'न्यायाचार्य' द्वारा सम्पादित एवं अनूदित षड्दर्शनसमुच्चय की समीक्षा १०. आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचना-काल । एवं रचयिता ११. जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास ७७-११२ ११३-१३२ १३३-१४० १४१-१४६ १४७-१५६ १५७-१६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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