Book Title: Sramana 1995 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 100
________________ । श्री अ० भा० साधुमार्गीय जैन महिला समिति की पूर्व राष्ट्रीय • श्रमण अध्यक्षा श्रीमती रसकुंवर देवी सूर्या ( उज्जैन ) का निधन। श्रीमती सूर्या ने सेवा, समर्पण और त्याग के आदर्श से कुटुम्ब, जाति, समाज, संघ आदि के उत्कर्ष में जो उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके जीवन का आदर्श प्रत्येक क्षेत्र में अनुकरणीय एवं प्रेरणास्पद है। सर्या परिवार ने विभिन्न क्षेत्रों में जो उल्लेखनीय प्रगति एवं गौरवमयी स्थान को प्राप्त किया है, उसकी पृष्ठभूमि के निर्माण में श्रीमती रसकुंवर बाई सूर्या की भूमिका बड़े महत्व की रही है। अपनी उदारवृत्ति, निस्पृह धार्मिक जीवन शैली, सौम्य आकृति, आडम्बरविहीन निरभिमानी व्यक्तित्व और परोपकारी चरित्र से जन-जन के हृदय को जीत लिया और अपने आदर्श कर्तव्य की भावना से प्रेरित होकर मातृभूमि, समाज एवं धर्म के हित साधन में अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी। श्री अ०भा० साधमार्गीय जैन महिला समिति की राष्ट्रीय अध्यक्षा पद पर प्रतिष्ठित होकर उन्होंने संघ के नियमोपनियम को व्यवहार में लाकर संघ के उत्कर्ष के लिए प्राण प्रण से उघोत किया एवं सेवा और त्याग-भावना के साथ सकल संघ का संचालन कर संगठन को मजबूत बनाया। वे संघ की विनम्र सेविका बनकर सदैव इस बात की सावधानी रखती थीं कि संघ में किसी प्रकार असन्तोष, विग्रह या मनोमालिन्य उत्पन्न न हो, संघ की सुव्यवस्था में अथवा उसकी प्रगति में किसी प्रकार की कोई अड़चन पैदा न हो इस हेतु वे स्वयं कष्ट उठाकर अपनी शालीन उपस्थिति एवं उन्नत व्यवहार से सदैव प्रयत्नशील रहीं। ___ श्रीमती सूर्या अपने पीछे दो भाई डॉ० सागरमल जैन - निदेशक पार्श्वनाथ जैन शोध संस्थान, बनारस एवं श्री कैलाश चन्द्र जैन, दो देवर श्री प्रकाशचंदजी सूर्या, श्री मनसुखलालजी सूर्या चार पुत्र श्री शांतिलाल सूर्या, गजेन्द्र सूर्या, प्रेमचन्द्र सूर्या, जिनेन्द्र सूर्या एवं एक जामतृ श्री राजेन्द्र पानगडिया एवं पुत्री श्रीमती निर्मला पानगडिया आदि भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं। दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित कर चिरशान्ति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिवार को दुःख सहन करने की हम शासन रक्षक देव से मंगल कामना करते हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार प्रबुद्ध चिन्तक गणेशजी लालवानी जैनधर्म और दर्शन के लब्धप्रतिष्ठ, बहुश्रुत विद्वान, प्रबुद्ध चिन्तक, वरिष्ठ पत्रकार श्री गणेशजी लालवानी को उनकी प्रथम पुण्यतिथि ( ४ जनवरी १९९५ ) पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है। प्रज्ञापुरुष गणेश जी का गत वर्ष ४ जनवरी को मस्तिष्क रुधिर स्राव जन्य पक्षाघात के कारण देहावसान हो गया था। अपका जन्म १२ दिसम्बर १९२३ को राजशाही ( बांग्लादेश ) में हुआ था। आपके पूर्वज राजस्थान में बीकानेर के निवासी थे। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा राजशाही में ही भोलानाथ विश्वेश्वर हिन्दू अकादमी में हुई। प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता से इतिहास ( ऑनर्स ) लेकर स्नातक एवं कलकत्ता विश्वविद्यालय से बंगला में आपने स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की। आप १९६३ में जैन भवन से जुड़े For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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