Book Title: Sopara Vignaptika Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ ६२ ईंनमः । ॥६॥ ॥ श्री सोपारा विज्ञप्तिका ॥ कूंकणदेसि नयर सोपारउं, सयल महीतलि दीसइ सारउं, धारउं हीआ मझारि, नाभिराय मरुदेवीनन्दन, आदिदेव तिहुयणजणमण्डण, गुण गाउं संसारे, सारउं देव सविहुं देहरासर, नाभिरायकुलकमलदिवायर, छहि दरिसण आधारो, सरगजमलि' सोपारउं पाटण, तिहुयणलोअ नयन आनन्दण, अठसठि तीरथ ठाम, सेत्तुंज तीरथु तणीय तलहटी', दुकिय' कंकंम (कम्म) सवि मारगि खेटीय, ३ भेटीय नाभिमल्हारो, २ अनुसन्धान-५६ तेरसइं आणू जिहां सरोवर, वावि - कूवानई गढ-मढ-मन्दिर, तरुभर मनविश्राम, सोवन केतकि सोवन सालिं, दीसई कदली विविध रसालिइं, नालिकेरफलमालि, अम्बा-जाम्बू-फणसु विशाल, हारहरा' करमदी रसाल, ताल तमालहं ताल, नागवेलि नवरङ्ग सोपारी, एला- लवङ्ग वस्तु सवि सारी, बीजउरी आराम, चम्पक-जाइ-जूहिअ-मचकुन्द, बकुल-वेल - चन्दनतरु अभिराम, - वालउ - आकन्द, ६ १ अगर पगर ̈ कप्पूर महातरु, जलि जलि पञ्चवन्न कमलाकर, भासुर कान्ति सम्भारो. ४Page Navigation
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