Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 1 Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri View full book textPage 3
________________ धम्मगिरि - पालि- गन्थमाला - १० [देवनागरी] दीघनिकाय एवं तत्संबंधित पालि साहित्य ग्यारह ग्रंथों में प्रकाशित किया गया है । प्रथम आवृत्ति : १९९८ ताइवान में मुद्रित, १२०० प्रतियां मूल्य : अनमोल यह ग्रंथ निःशुल्क वितरण हेतु है, विक्रयार्थ नहीं । सर्वाधिकार मुक्त | पुनर्मुद्रण का स्वागत है । इस ग्रंथ के किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन के लिए लिखित अनुमति आवश्यक नहीं । ISBN 81-7414-059-X यह ग्रंथ छट्ट संगायन संस्करण के पालि ग्रंथ से लिप्यंतरित है । इस ग्रंथ को विपश्यना विशोधन विन्यास के भारत एवं म्यंमा स्थित पालि विद्वानों ने देवनागरी में लिप्यंतरित कर संपादित किया। कंप्यूटर में निवेशन और पेज- सेटिंग का कार्य विपश्यना विशोधन विन्यास, भारत में हुआ / प्रकाशक : विपश्यना विशोधनं विन्यास धम्मगिरि, इगतपुरी, महाराष्ट्र - ४२२४०३, भारत फोन : (९१-२५५३) ८४०७६, ८४०८६ फैक्स : (९१-२५५३) ८४१७६ सह-प्रकाशक, मुद्रक एवं दायक : दि कारपोरेट बॉडी ऑफ दि बुद्ध एज्युकेशनल फाउंडेशन ११ वीं मंजिल, ५५ हंग चाउ एस. रोड, सेक्टर १, ताइपे, ताइवान आर. ओ. सी. फोन : (८८६-२)२३९५-१९९८, फैक्स : (८८६-२) २३९१-३४१५ 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 516