Book Title: Siddhhem Shabdanushasan Laghuvrutti Vivran Part 01
Author(s): Mayurkalashreeji
Publisher: Labh Kanchan Lavanya Aradhan Bhuvan

Previous | Next

Page 226
________________ २-२२ ૨૧૭ સ્થાની નિમિત કાર્ય | સત્રનંબર | સૂત્ર म् + ब् म्म्ब् | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + ब् म् ब् १-3-3८ | म्नां धुड्वर्गेऽन्त्यो ऽपदान्ते। म् + भ (अनु.)म् भ् १-3-१४ तौ मु मौ व्यअने स्वौ। म् + भ् म्म्भ | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + भ् म् भ् | १-3-3c म्नां धुड्वर्गेऽन्त्योऽपदान्ते। म् + म् (अनु.)म्म् | १-3-१४ तौ मु मौ व्यजने स्वौ। म् + म् म्म म् | १-3-३२ | अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + म् म् १-3-४७ | व्यअनात् पचमाऽन्तस्थायाः सरूपेवा। म् + य (अनु.)एँ, य | १-3-१४ | तौ मु मौ व्यजने स्वौ। . म् + य् म् म्य् | अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + य् म्य्य् | १-3-3४ | ततोऽस्याः। म् + र (अनु.)र १-3-१४ | तौ म मौ व्यजने स्वौ। म् +र म्र | १-3-१६ सम्राट्। म् + : म्मर |१-3-32 अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + र् म्र र् | १-3-3४ ततोऽस्याः । म् +ल् (अनु.) ल | १-३-१४ तो मु मौ व्यजने स्वौ। . म् + ल्म् मल १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्याने। म् + ल् मल्ल | १-3-3४ ततोऽस्याः । म् + व् (अनु.), व् १-3-१४ | तौ मु मौ व्यअने स्वौ। म् + व् मम् | १-3-32 | अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + व् मव्व् | १-3-3४ | ततोऽस्याः । म् + श् (अनु.) 12-3-3४ तौ मु-मौ व्यअने स्वौ.। म् + श् म्मश् | १-3-3२ अदीर्घाद् विरामैकव्यजने। म् + थ (अनु.) १-3-४० | शिड्ढेऽनुस्वारः। म् + ष् (अनु.)ष् | १-3-१४ तौ मु-मौ व्यजने स्वौ.। म् + ष् मम | १-3-3२ | अदीर्घाद् विरामैकव्यअने। . ouस्याः । + + +

Loading...

Page Navigation
1 ... 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256