Book Title: Siddha Hemchandrashabdanu Shasanam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious
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१८
श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम्
करोति घूतेन ॥१२९॥
भावे चा-ऽऽशिताद् भुवः खः 1५1१1१३०॥ आशितात् पराद् भुवो भाव-करणयोः 'खः' स्यात् । आशितम्भवस्ते, आशितम्भव ओदनः ॥१३०॥
नाम्नो गमः खड्-डौ च, विहायसस्तु विहः 1५1१1१३१॥ नाम्नः पराद् गमेः 'खड्-ड-खाः' स्युः, 'विहायसो विहश्च । तुरङ्गः, तुरगः; विहाः, विहगः; तुरङ्गमः; विहामः, सुतामो मुनिः ॥१३१।।
सुग-दुर्गमाघारे 1५1१1१३२॥ सु-दुा पराद् गमेराधारे 'ड:' स्यात् । सुगः, दुर्गः पन्थाः ||१३२॥
निर्गो देशे 1५1१1१३३॥ निस्पूर्वाद् ममेराधारे देशे 'ड:' स्यात् । निर्गो देशः ॥१३३॥
शमो नाम्न्यः 1५1१1१३४॥ शमो नाम्नः पराद् धातोः संज्ञायाम् 'अ' स्यात् । शम्भवोऽईन् । नानीति किम् ? शहरी दीक्षा ॥१३४॥
पार्वाऽऽदिभ्यः शीडः ।५।११३५॥ एभ्यो नामभ्यः परात् शीङः 'अ' स्यात् । पार्श्वशयः ॥१३५॥
ऊर्वादिभ्यः कर्तुः ।५।१।१३६॥ एभ्यः कर्तृवाचिभ्यः परात् शीङः 'अ' स्यात् । ऊर्ध्वशयः, उत्तानशयः ॥१३६॥
आधारात 1५1१1१३७॥ आधारानाम्नः परात् शीङः 'अ.' स्यात् । खशयः ॥१३७॥
चरेष्टः 1५1१1१३८॥
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