Book Title: Siddh Hemhandranushasanam Part 03
Author(s): Hemchandracharya, Udaysuri, Vajrasenvijay, Ratnasenvijay
Publisher: Bherulal Kanaiyalal Religious Trust

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Page 552
________________ 118 ] श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासने ग्रोमादिर्वा ।। ८६० ॥ ग्लानुदिभ्यां डौः ॥ ८६८ ॥ घटाघाटाघण्टादयः ।। १४१ ॥ घसिवशिपुटि-कित् ।। ४१६ ।। घुयुहिपितुशोर्दीर्घश्च ॥ २४ ॥ घृवीह्वाशुष्यु-कित् ।। १८३ ।। चकिरमि-स्य ।। ३६३ ।। चक्षः शिद्वा ।। ६६६ ।। चक्षेः शिद्वा ।। १.०१ ॥ चटिकठिपदिभ्य आकुः ॥ ७५२ ।। चण्डिभल्लिभ्यामातकः ।। ८२ ।। चतेरुर् ।। ६४८ ॥ चन्दोरमस् ॥ ६८६ ।। चपेरेट: ॥ १५८ ।। चमेरुच्चातः ॥ ६३२ ।। चमेरूरुः ॥ ८१४ ।। चात्वालकङ्काल-दयः ॥ ४८० ।। चायः के च ।। ७७८ ॥ चायेः केक च ।। ३६६ ।। चायेनौ ह्रस्वश्च वा ॥ ९५७ ॥ चिक्कणकुक्करण-दयः ।। १६० ।। चिजिशुसि-श्च ।। ३६२ ॥ चिनीपीम्यशिभ्यो रुः ॥ ८०६ ।। चिमिदिशंसिभ्यः कित् ।। ४५४ ।। चिमे? चडञ्चौ ।। १२२ ॥ चिरेरिटोभ च ।। १४६ ।। चुम्बिकुम्बि-च ।। ३६० ।। छदिवहिभ्यां छन्दोधौ च ।। ६५४ ।। छविच्छिवि-दयः ।। ७०६ ।। छिदिभिदिपिटेर्वा ॥ ३० ।। छो डग्गादिर्वा ॥ ४७१ ।। जजलतितल-यः ।। १८ ।। जठरक्रकर-दयः ।। ४०३ ॥ जनिपरिणकिजु--श्च ।। १४० ॥ जनिहनिशद्यर्तेस्त च ।। ८०६ ।। जम्बीराभोर--दयः ।। ४२२ ।। जाया मिग: ।। ८६० ।। जिभृसृभ्रस्जि--श्च ॥ ४४७ ।। जीण शीदी--कित् ॥ २६१ ।। जीवेरदानुक् ।। ७६५ ।। जीवेरातुः ॥ ७८२ ।। जीवेरातृकोजैव च ॥ ६७ ।। . जीवेर्मश्च ।। २१६ ।। ज़ कृ त शृ.--ण्डः ।। १७३ ॥ ज़ पृ.दृ.श --दौ ।। ४७ ॥ विशिभ्यामन्तः ।। २१६ ॥ ज़ वृ भ्यामूथः ।। २३६ ।। ज़ शृ स्तृ जागृ--ङित् ।। ७०५ ।। ज षोरश्च वः ।। ६६४ ।। झमेर्भः ।। १३७ ।। टिण्टश्चर् च वा ॥ १५० ।। डित् ।। ६०५ ॥ डिमेः कित् ।। ३५६ ॥ डीनीबन्धि-डिम्बः ॥ ३२५ ।। गेल्प् ॥ २० ॥ तङ्किवङ्कयङ्कि-रिः ।। ६६२ ॥ तडेरागः ।। ६७ ॥ तनित लापा--उत्रः ।। ४६१ ।।

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