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अप्रैल - २०१३ ग्रंथतुं नाम
विषय १०१ | सुखसागर गीता
जीवन परिचय सुखसागर चरित्र
जीवन परिचय १०३ | संघप्रगति महामंत्र संघ समृद्धिना उपाय अने नूतन
अभिगमो सांवत्सरिक क्षमापना क्षमा धर्मनो परिचय १०५ | स्तवन संग्रह
जिन गुण स्तवना १०६ | षड्द्रव्य विचार
द्रव्यानुयोगनो विशिष्ट परिचय १०७- | श्रावकधर्म स्वरूप (भाग १-२) | भाव श्रावकना सत्तर गुणोनो विशिष्ट १०८
परिचय
बुद्धिसागर तू ही सोही
श्री मुकेशभाई एन. शाह बुद्धिसागर तेरा जनम दिवस है, मुबारक हो सब को आज, जनमजात का योगी तू था, तेरी ना है और कोई जात
वीजापर का बेचर था त, अंबामाई का था तु लाल, शिवरात्रि के मंगल दिन पर, शिवदासने दी थी तेरी मिशाल सूरज को ही बे नकाब करके, रविसागरने कर दिया कमाल रचकर तूने अल्पकाल में, कर्मयोग और १०८ ग्रंथ विशाल,
मधुपुरी का वीर भी था तू, और बोरीज का महावीर भी था तू,
पद्मप्रभु का प्यारा जोगी, घंटाकर्ण का उजागर भी था तू छोटे बडों का छत्तीस कोम का, प्यारा जोगीश्वर भी था तू, हिंदुस्तान का मस्त सपूत था, जिनशासन का रखवाला भी था तू
१४० साल पहले आया था तू जगमें, नाम ले तेरा निशदिन सब कोइ वटवा के परम शांतिवनमें अहालेक तेरी, बुद्धिसागर तू ही सोही
॥सोहम् ।।
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