________________ 83861 * श्री श्रीपाल-मयणामृत-काव्यम् - * दिव्याशीर्वाद . आगमविशारद पंन्यासप्रवर पूज्य गुरुदेव श्री अभयसागरजी म. रचयिता बंधुबेलडी पूज्य आचार्यदेव श्री जिनचन्द्रसागरसूरि लघुबन्धु आचार्यदेव श्री हेमचन्द्रसागरसूरीश्वराणां शिष्यरत्न मुनिराज श्री नयचन्द्रसागरजी महाराजः श्री ऊंझा जैनसंघस्य ज्ञाननिधिद्रव्येण श्री आगमोद्धारक प्रतिष्ठानेन मुदापितोऽयं ग्रन्थः Jain Education intomsanon 2010.05 For Private Femaal use only www.jainelibrary.org