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पूर्वे गृहस्थ अवस्थामां ‘भूमंडले' शब्द बतावीने मांडलुं नीचे बनाववानुं कहेल त्यारे पूज्यपाद गुरुदेवश्रीओ कहेलुं के “आ भूमंडले' शब्द मंत्रशास्त्रनो पारिभाषिक शब्द छे, तेनो शब्दशास्त्रना आधारे अर्थ करवानो नथी!'' गुरुदेवश्रीना आ शब्दनुं रहस्य ते समये समजायु नहीं, परंतु दीक्षा बाद संस्कृतनो अभ्यास थयो अने ग्रंथोनुं वांचन थयुं त्यारे ख्याल आव्यो के... भूमंडले शब्दनो अर्थ मंत्रशास्त्रमा तद्दन भिन्न थाय छे. पू. गुरुदेवश्रीओ ते समये जणावेली वात घणा वर्षों पछी ओकदम साची लागी.
अनुभव सिद्धमंत्र द्वात्रिंशिका ग्रंथनी प्रस्तावनामां जणाव्या अनुसार मंत्र शास्त्रमा जुदा-जुदा आकारो अने भिन्न-भिन्न बीजाक्षरोना माध्यमे चार मंडलनी रचना थाय छे. पृथ्वीमंडल, जलमंडल, अग्निमंडल, वायुमंडल. तेमां दरेक मंडलना आकारो अने बीज मंत्रो नीचे प्रमाणे छे.
मंडलनु नाम वर्ण आकार बीज मंत्र दीशामां १. पृथ्वी मंडल पीळु चतुष्कोण लं, क्षिं चारे खुणे लखवू २. जल मंडल श्वेत कलश समान गोल वं, पं चारे खुणे लखवू ३. अग्नि मंडल लाल त्रिकोण
चारे खुणे लखवू
४. वायु मंडल काळु गोळाकार
यं, स्वा
चारे खुणे लखवू
सिद्धचक्र यंत्र ए पृथ्वीमंडलनु यंत्र छे. आ पृथ्वी मंडलनी रचनानो उद्भव चार सीधी लाइनना बहार नीकळता छेडावाळो चोरस करी, तेना छेडे बीजमंत्र लँ अने लाइननी वच्चे क्षिं लखवाथी थाय छे. मंत्रशास्त्रनी दृष्टिले आ पृथ्वीमंडल छे. ___मंत्रशास्त्रमा आकार अने बीजमंत्रोना माध्यमे उपरोक्त चार प्रकारना मंडल बने छे ते पैकीना भू-पृथ्वी, पृथ्वी मंडलमां आ सिद्धचक्र यंत्र अने मंडलनु आलेखन करवानुं विधान छे. वळी जो भूमंडल शब्दनो अर्थ जो भूमिर्नु तळीयु
ఉండడు ముడుపులు
GOOGOODCHHOOCOCCAS