Book Title: Shrimad Devchandra Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २० ) ववा प्रसंगे छ कारक केवी रीते होय तेनुं वर्णन छे. २१ श्री नमिनाथ जिन स्तवनमा प्रभु सेवाने मेघनी उपमा घटावी छे. २२ श्री नेमिनाथ जिन स्तवनमा राजिम - तीए प्रभु प्रत्येनो कामरुप अशुद्ध राग टाली प्रशस्त राग कय तेनुं वर्णन छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३ पार्श्वजिन स्तवनमा परिणति तथा प्रवृतिनी एकता दर्शावी पछी शुद्धता, एकता, तीक्ष्णताना अर्थ कया छे. २४ श्री महावीर जिन स्तवनमा संसार पार पामवा विनती करी छे. २५ कलशरुप स्तवनमां जिन स्तुतिनुं फळ तथा कर्तानी गुरुपरंपरा वर्णवी छे. ४ वीस विहरमान जिन स्तवन. ५ अतीत जिन चोवीशी. ६ स्नात्रपूजा. ७ नवपदपूजा. ८ एकवीश प्रकारी पूजा. ९ अष्ट प्रकारी पूजा. १० वीर जिन निर्वाण टाळो. ११ श्री पद्मनाभ जिन स्तवन. १२ श्री सीमंधर खामि विनती स्तवन. For Private And Personal Use Only ७४४ ७५३ ७५९ ७६५ ७७४ ७८० ७८७-८०६ ८०९-८४९ ८५१-८६८ ८६८-८७२ ८७३-८८३ ८८४-८९१ ८९३-९०९ ९१० ९११

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