Book Title: Shrimad Devchandra Part 1 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि ग्रन्थमालांक ४९ तरीके श्रीमद् देवचंद्र प्रथम भाग बहार पडे छे. जैन कोममां अढारमी सदीना अंते अने ओगणीशमी सदीना प्रारंभमां विद्यमान खरतरगच्छीय पंडित श्रीमद् देवचंद्रजीं थएल छे. तेमणे जे जे कृतियो बनावी छे ते प्रस्तावनामां पादराना वकील मोहनलाल हेमचंदभाइए जणावी छे. श्रीमद् आनंदघनजी, श्रीमद् यशोविजयजी उपाध्यायनी पेठे जैन कोममां महात्मा ज्ञानी तरीके श्रीमद् देवचंद्रजी महाराज प्रख्यात थयेल छे. श्रीमद् देवचंजी महाराजना ग्रन्थोनो जैन कोममां सादर साधे प्रचार थयो छे, थाय छे अने भविष्यमां थशे. श्रीमद् देवचंद्रजी महाराज जेवा द्रव्यानुयोगी गीतार्थयी जैनसंघ अने खरतर - गच्छनी महत्तामा वृद्धि थएल छे. श्रीमद् देवचंद्रजी महाराजनो तपागच्छीय आचार्य मुनिवरो साथे घणो सारो संबंध दतो. श्रीमद् उपाध्यायजी यशोविजयजीकृत ज्ञानसार ग्रन्थ पर तेमणे ज्ञानमंजरी नामनी टीका रचेली छे अने दिगंबरी शुभचंद्राचार्यकृत ज्ञानार्णवनो ध्यानचतुष्पदी ग्रन्थमां सार खेंची सर्व गच्छोना महापुरुषो प्रत्ये गुणानुराग दर्शावी भविष्यना जैन सा'धुओ माटे स्वादर्श जीवन मुकी गया छे. श्रीमद् द्रव्यानुयोगी गीतार्थ हता. तेमनुं चारित्र केवुं उत्तम हतुं ते तेमना बनावेला ग्रन्थो - मांना उद्गारोथी सुस्पष्ट थाय छे, अने खरतरगच्छना अद्यपर्यंत थयेल सर्व आचार्यो मुनिवरोमां श्रीमद् देवचंद्रजी महाराज प्रथम नंबरे आवे छे. एवा महापुरुषनी कृतिओने छपावी जाहेर करवामां आवे तो तेथी जैन कोम तथा जैनेतर For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 1084