Book Title: Shri Tankshal Madhye Shreyansjin Chaitya Sambandh
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 20
________________ ऑगस्ट 2011 मंदमति कलिकालतणो हुं, अल्पबुद्धि गुणहीण जी / / तेहथी भूलचूक कळू होय तो, शुद्ध कीज्यो परवीण जी // 16 // से०॥ हीनाधिक कथना कछु यामें, कवियणपणाथी कीधी जी / तास मिच्छामिदुक्कड मुजने, थाज्यो प्रसिद्ध प्रसिद्धजी // 17 / / से०॥ जे ए भणस्ये गुणस्यें भावे, लेस्यै ते रंगसालाजी / संघसहित श्रीजिनगुण गातां, नीत नीत मंगलमालाजी // 18|| से०॥ इति श्रीराजनयरपुरे टंकशालमध्ये श्रीश्रीयांसजिननौत[न] चैत्यः(त्यं) शेठ उमाभाई करापितं, तस्य सम्बद्धं सम्पूर्णम् / समाप्तम् / दूहा / गाथा / सर्वगाथा सम्पूर्णम् // श्रीरस्तु / मंगलं भवतु / संवत १९१६ना वर्षे कार्तिक मासे कृष्णपक्षे तीथौ त्रयोदश्याम् / भौमवासरे लिपी समाप्तम् // लिपीकृतं बाबा बालगिरजी / लेखकपाठकश्चिरं जीयात् //

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