Book Title: Shramanvidya Part 1
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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सन्दर्भ-प्रन्य अनगार धर्मामृत :१० आशाधर, माणिकचन्द विजन ग्रन्थमाला, बम्बई, १९१९ । अनुयोगद्वार : आगमोदय समिति, बम्बई, १९२४ । आचारांगसूत्र : आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना, १९६३-६४ । आवश्यकचूर्णि : ( भाग १-२) जिनदासगणि, ऋषभदेव केशरीमल संस्था,
रतलाम, १९२८। आवश्यकनियुक्ति-दीपिकाः (१-२ विभाग): श्री विजयदान सूरीश्वर जैन ग्रन्थमाला,
१९३९ । उत्तराध्ययनसूत्र : १. जैन पुस्तकोद्धार समिति, सूरत, १९१६ ।
२. जैन श्वे० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता, १९६७ । कल्पसूत्र
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ग्रन्थमाला, मथरा, १९४४ । कार्तिकेयानुप्रेक्षा : श्रीमद् राजचन्द जैन शास्त्रमाला, अगास, वी• नि० सं० २४८६ । चारित्त पाहुड : माणिकचन्द दि० जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, वि० सं० १९७७ । चारित्रसार : चामुण्डराय, , वि० सं० १९७४ । तत्त्वार्थाधिगमभाष्य : प्रकाशक-श्रीमद् राजचन्द आश्रम, अगास, १९३२ । तत्त्वार्थवार्तिक : अकलंकदेवकृत, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, वि० सं० २००८ । तत्त्वार्थसूत्र : सं० पं० फूलचन्द शास्त्री, श्री वर्णी जैन ग्रन्थमाला, नरिया,
वाराणसी-५। दशवैकालिक : प्रकाशक-जैन विश्वभारती, लाडनूं, १९७४ । धवला
: आचार्य वीरसेन, (षट्खण्डागम की टीका) भाग १, सितावराय लखमीचन्द जैन साहित्योद्धारक फण्ड, अमरावती,
१९३९ । नयचक
: आचार्य देवसेनकृत, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९७१ । नियमसार .: आचार्य कुन्दकुन्दकृत, परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई, वि० सं०
१९७२ ।
संकाय पत्रिका-१
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