Book Title: Shramanvidya Part 1
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 353
________________ 332 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. श्रमण विद्या जैन प्रमाणमीमांसा का समालोचनात्मक अध्ययन Devi Datta Mishra तत्त्वार्थसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन Kum. Pramila Pandeya आचार्य हरिभद्र सूरि का भारतीय दर्शन में योगदान Kum. Sushila Jain प्राचीन भारत में शिक्षा : जैन स्रोतों के आधार पर Dava mani Yagyika तीर्थङ्कर, बुद्ध और अवतार की अवधारणाओं का तुलनात्मक अध्ययन Ramesh Chandra Gupta जैन दर्शन में जीव की अवधारणा : आधुनिक जीवविज्ञान के सन्दर्भ में Usharani Singh जैन दर्शन में शब्द प्रमाण Archana Pandeya रजनीश के चिन्तन पर जैन दर्शन का प्रभाव Kanhaiya Singh १२ वीं शताब्दी तक उपलब्ध जैन साहित्य में विवेचित धार्मिक सम्प्रदाय Ramhansa Chaturvedi जैन साहित्य में कृष्णकथा Rita Singh जैन साहित्य में प्रतिपादित नारी जीवन Gita Devi जैन साहित्य में आर्थिक जीवन Kamalprabha Jain जैन कर्म सिद्धान्त का ऐतिहासिक विकास Ravindra Nath Mishra अरविन्द और जैन दर्शन की समीक्षात्मक और समन्वयात्मक विधि Mamata Gupta जैन आगम साहित्य में आयुर्वेद Rita Guru प्रबन्ध चिन्तामणि का साहित्यिक अध्ययन Rina Singh संकाय पत्रिका - १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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