Book Title: Shraman Sanskruti ki Vaidik Sanskruti ko Den
Author(s): Darbarilal Kothiya
Publisher: Z_Darbarilal_Kothiya_Abhinandan_Granth_012020.pdf

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Page 4
________________ (ध्यान, योग) का निरूपण इस संस्कृतिमें किया गया है। ये सब आध्यात्मिक गुण है। प्रमाण और नयसे तत्त्व (आत्मा) का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करनेका प्रतिपादन भी आरम्भसे इसी संस्कृतिमें है-'दया-दम-त्यागसमाधिनिष्ठं नय-प्रमाणप्रकृताञ्जसार्थम् / ' इससे अवगत होता है कि अहिंसा, इन्द्रियनिग्रह, अपरिग्रह, समाधि और तत्त्वज्ञान, जो वैदिक संस्कृतिमें आरम्भमें नहीं थे और न वेदोंमें प्रतिपादित थे, बादमें वे उसमें आदृत हुए हैं, श्रमणसंस्कृतिकी वैदिक संस्कृतिको असाधारण देन है / यदि दोनों संस्कृतियोंके मूलका और गहराईसे अन्वेषण किया जाये तो ऐसे पर्याप्त तथ्य उपलब्ध 6.1. युक्त्यनुशा० का० 4 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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