Book Title: Shraddhvidhi Kaumudi
Author(s): Vairagyarativjay
Publisher: Pravachan Prakashan

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Page 316
________________ २९३ ५९ १७४ योगशास्त्रवृत्तिः ३.१२९ आवस्सयनिज्जुत्ति-१५९५ ९६ १३५ १२ आवस्सयनिज्जुत्ति-१५९६ चेइयवंदणमहाभासम्-१८९ २०६ चेइयवंदणमहाभासम्-१९३ २०६ जीवाभिगमो १८७ परिशिष्टम्-७. तइआ उ भावपूआ तइए निसाइ तओ पभावई निसीहसुत्तं तत्तदुत्प्रेक्षमाणानां तत्तिअमित्तं तत्तो चरित्त तत्तो णमो जिणा तत्तो नयरंमि तत्तो निसीहिआए. तत्त्वाभ्यां तत्थ करंतु तत्थ गमिऊण तत्थ णं बहवे तत्थ पहाए तत्थ य चिंतइ तत्थ य धरेइ तत्थंअवन्नासायण तत्र तिष्ठति न तत्र धाम्निः तइंसिअ नीईए तन्न दुक्करं तप्पणइणिपुत्ताइसु. तम्हा चउव्वि तम्हा सइ सामत्थे तम्हा सव्वपय तम्हा हु नाय तयणु हरिसुल्लसंतो तयभावे तल्लीनमानसः २०६ १७४ योगशास्त्रवृत्तिः ३.१२९ योगशास्त्रवृत्तिः ३.१२९ संबोहपयरणम्-८१ १७३ १२० २१८ १४५ २१७ १३९ _ ও हियोवएसमाला-२९९ निसीहचुण्णी हियोवएसमाला-२८२ चेइयवंदणमहाभासम्-८९५ हियोवएसमाला-२३२ सड्ढिदिणकिच्चम्-१६४ सड्ढिदिणकिच्चम्-२४९ चेइयवंदणमहाभासम्-१९४ १०० १३१ १७७ ५१ व्यवहारशास्त्रम्

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