Book Title: Shraddhvidhi Kaumudi
Author(s): Vairagyarativjay
Publisher: Pravachan Prakashan

Previous | Next

Page 315
________________ श्राद्धविधिकौमुदीसक्षेपः पञ्चतन्त्रम्-१.२८७ २९२ जीअं कस्स जीर्णो समुद्धते जीवन्तोऽपि जीवाण बोहि जीवितव्ये जूअं धाउव्वाओ जूआरचोरनडनट्टभट्ट जे खण्ड भावणा जे निच्चमप्प जे नो करंति जेण लोगट्टिई जो अकिरियावाई वियारसारो-३५९ सड्डदिणकिच्चम् २४८ दसाचुण्णी .. •१७६ १७७ जो इह . पउमचरियम् ३२८५ जो गुणइ जो जिणवराण भवमं .. जो जिणवराण हेउ जो देइ उवस्सयं जो पुण जिणगुण १००, सड्ढदिणकिच्चम्-१७८. , चेइयवंदणमहाभासम्-८९१ जो पूएइ कप्पभासम्-९७३ । त्रिषष्टिशलाकापुरुष-१.२.५९९ जोअणसयं जोईणि ज्ञानाप्तिर्लोक ज्वलद्दीपत्विषा ण्हवण-विलेवण ण्हवणच्चगेहि ण्हवणविलेवण एहविअविलितं तइअं तु छंदण तइअगरूव चेइयवंदणमूलभासम्-१२ संबोहपयरणम्-५७ गुरुवंदणभासम्-४ चेइयवंदणमहाभासम्-८९८

Loading...

Page Navigation
1 ... 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346