Book Title: Shiksha aur Chatra Manovigyan
Author(s): G C Rai
Publisher: Z_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ 12 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : तृतीय खण्ड ..................-.-.-.-.-.-.-.-.-...-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-. 14. शिक्षा के मूल्यांकन के पक्ष पर भी ध्यान देना आवश्यक है। आजकल हमारे विद्यालयों में परीक्षाओं में अंक देने में पक्षपातवाद की शिकायतें आती हैं। अस्तु, नवीन परीक्षण प्रणाली का उपयोग हमारे विद्यालयों की परीक्षाओं में आवश्यक है। इससे छात्र प्राप्तांकों से संतुष्ट रहेंगे और पक्षपात का उनका संशय दूर होगा और वे परीक्षण में अधिक रुचि से भाग लेंगे और परीक्षा-बहिष्कार भी कम होंगे। उपर्युक्त दिये गये कुछ सुझावों पर यदि छात्र, अध्यापक, अभिभावक तथा शिक्षा अधिकारी विचार करें और पालन करें तो छात्रों में शिक्षा के प्रति घनात्मक मनोवृत्ति बनेगी तथा वे शिक्षा कार्यक्रमों में रुचिपूर्वक भाग लेंगे। इससे हमारे छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होगा और वे देश के भावी कर्णधार बनकर देश तथा समाज की समुचित सेवा कर सकेंगे। xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx xxxxx xxxxxxxxx मातेव का या सुखदा ? सुविद्या ! -माता के समान सुख देने वाली क्या है ? सुविद्या किमेधते दानवशात् ? सुविद्या -दान देने से बढ़ने वाली वस्तु क्या है ? सुविद्या ! -शंकर प्रश्नोत्तरी 25 Xxxxx xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx - 0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4