Book Title: Shastro ke Arth Samazne ki Paddhati
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 18
________________ ( १८ ) वीतरागता की धातक सिद्ध होती है जो कि गान्त्र का तात्पर्य नहीं हो सकता । अतः शास्त्रों का यथार्थ भाव समझने के लिये उपयुक्त निश्चय-व्यवहार को मास्टर कुजी का प्रयोग करने में कहीं भी शास्त्राभ्यासी को भूल नहीं पड़ेगी । अन्यथा अपनी पूर्व मान्यता को पोपण करता रहेगा। मोक्षमार्ग दो नहीं हैं, कथन पद्धति दो प्रकार है निश्चय व्यवहार के सम्बन्ध में एक मिथ्या मान्यता और चलती है कि निश्चय मोक्षमार्ग एवं व्यवहार मोक्षमार्ग, इस प्रकार मोक्षमार्ग दो हैं, अतः दोनों का सेवन आवश्यक है।' इसका भी निराकरण होना आवश्यक समनकर यहां संकेत कन्ते हैं। इस संबंध में मोक्षमार्ग प्रकाशक पृष्ठ २४८ में कहा है कि "मो मोक्षमार्ग दो नहीं हैं, मोक्षमार्ग का निरूपण दो प्रकार है। जहां सच्चे मोक्षमार्ग को मोक्षमार्ग-निरूपित किया जाय तो निश्चय मोक्षमार्ग है और जहां जो मोक्षमार्ग तो है नहीं परन्तु मोक्षमार्ग का निमित्त है व सहचारी है उसे उपचार से मोक्षमार्ग कहा जाय सो व्यवहार मोक्षमार्ग है क्योंकि निश्चय व्यवहार का मर्वत्र ऐमाही लक्षण है। 'सच्चा निरूपण सो निश्चय' 'उपचार निरूपण सो व्यवहार' इसलिये निरूपण-अपेक्षा दो प्रकार मोक्षमार्ग जानना [किन्तु] एक निश्चय मोक्षमार्ग है, एक व्यवहार मोक्षमार्ग है, इस प्रकार दो मोक्षमार्ग मानना मिथ्या है तथा निश्चय-व्यवहार दोनों को उपादेय मानता है, वह भी भ्रम है क्योंकि निश्चय-व्यवहार का स्वरूप तो परस्पर विरोध सहित है ।" . . . . . : . .

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