Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 20
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 267
________________ पता / स्फुरज्ज्योतिर्दिगुद्योतिदेवसम्पातमद्भुतैः / . मुखरं तूर्यनिर्घोषैर्भूरिभव्यैः समाकुलम् . . // 864 // मुनिवृन्दैस्तदापूर्णं, स्मयमानमिवाबभौ / अनुसुन्दरराजादिप्रव्रज्याऽवसरे वनम् // 865 // ततो मगधसेनश्च, श्रीगर्भश्च महीपती / राज्यं पुरन्दरायैव, रक्षायै ददतुः स्वयम् // 866 // विधिना तानि सर्वाणि, सूरिणा दीक्षितान्यथ / दत्ता संवेगवृद्ध्यर्थं, देशना च सुधोपमा // 867 // ययुस्तदन्ते स्वस्थानं, देवा लोकाश्च भाविताः / . साध्व्योऽपि च महाभद्राऽन्विता गुरुनिदेशतः // 868 // अथादित्यो ययावस्तं, कृता चांवश्यककिया / स्वाध्यायलीनैर्मुनिभिः, प्रदोषश्चातिलङ्घितः // 869 // लब्ध्वाऽभ्यन्तरसाम्राज्यं, मन्वानः कृतकृत्यताम् / विशुद्धध्यानमारूढो, राजर्षिरनुसुन्दरः // 870 // ततो विशुद्ध्यमानाभिर्लेश्याभिः स महाशयः / / आरुह्योपशमश्रेणी, शान्तमोहः क्षणादभूत् // 871 // निर्याणकालं विज्ञाय, तस्मिन्नेव क्षणे स्थिताः / / समाधिकारिणोऽभ्यर्णे, मुनयो गुरुशासनात् // 872 // अत्रान्तरे च तस्यायुः, समाप्तं स ततो वपुः / त्यक्त्वा सर्वार्थसिद्ध्याख्ये, विमानेऽभूत् सुरोत्तमः // 873 // अनुसुन्दरराज्ञस्तं, ज्ञात्वा व्यतिकरं प्रगे / मिलितः सकलः सङ्घो, विधिनाऽत्याजि तद्वपुः // 874 // कृता नरामरैः पूजा, तस्य तद्गुणरञ्जितैः / / अनुसुन्दरवृत्तान्ते, तूर्णं जातेऽथ तादृशे . // 875 // . 58

Loading...

Page Navigation
1 ... 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298