Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ भवे पुणोऽसेससुहाण ठाणं, महाविमाणाहिवई सुरेंदो / तओ चुओ माणुसभोगभागी, रायाहिराया व धणाहिवो वा // 24 // कलाकलावे कुसलो कुलीणो, सयाणुकूलो सरलो सुसीलो / सदेवमच्चा-ऽसुरसुंदरीणं, आणंदयारी मण-लोयणाणं // 25 // कारेज्ज तम्हा पडिमा जिणाणं, पहाणं पइट्ठा बलि पूय जत्ता / अण्णच्चयाणं च चिरंतणाणं, जहारिहं रक्खण वद्धणं ति // 26 // जिणिदयंदाण य मंदिराई, आणंदसंदोहणिसंदिराई / रम्मा रुंदाणि य सुंदराई, भव्वाण सत्ताण सुहंकराइं // 27 // मेरु व्व तुंगाइँ सतोरणाइं, विसालसालासबलाणयाई / सोपाण-णाणामणिमंडियाई, माणेक्क-चामीकरकुट्टिमाइं // 28 // विचित्तविच्छित्तिविचित्तचित्त, सच्छत्त-भिंगार-स(सु)चामराई / ससालभंजी-मयरद्धइंध, वाउद्भुयाणेयधयाउलाई // 29 // देवंग-पटुंसुय-देवदूसउल्लोयरायंतनिरंतराइं / . विलोलमुत्ताहल-मल्लमालापालंबओऊलकुलाऽऽकुलाइं // 30 // कप्पूर-कत्थूरिय-कुंदुरुक्क-तुरुक्क-सच्चंदण-कुंकुमाणं / डझंतकालागरुसार धूयणीहारवासंतदिगंतराइं // 31 // चउव्विहाऽऽउज्जसुवज्जिराई, गंधव्व-गीयद्धणिउद्धराई / णिच्चं पणच्चंतसुनाडगाई, कुवैतरासासहसाऽऽउलाइं // 32 // वंदंत पूयंत समोयरंत, रंगंत वगंत थुपंतएहिं / णच्चंत गायंत समुप्पयंत, उक्किट्ठनायाइकुणंतएहिं // 33 // देवेहिँदेवीहिँ य माणवेहिं, नारी तिरिक्खेहिँ य उत्तमेहिं / भत्तीएँ कोऊहल णिब्भरेहि, लक्खेहिँ कोडीहिँ समाकुलाई // 34 // विमाणमाला-कुलपव्वएसुं, वक्खार-नंदीसर-मंदरेसुं / अट्ठावए सासय-ऽसासयाई, जिणालयाई व महालयाइं // 35 //
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