Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ पू.आ.श्रीप्रद्युम्नसूरिकृता // मूल शुद्धिः // वंदामि सव्वनुजिणिदवाणिं पसन्नगंभीरपसत्थसत्था / जुत्तीजुया जं अभिनंदयंता नंदंति सत्ता तह तं कुणंता // 1 // जिणाण धम्म मणसा मुणेत्ता, सो चेव वायाएँ पभासियव्वो / काएण सो चेव य फासियव्वो, एसोवएसो पयडो गुरूणं // 2 // सिद्धंतसाराइँ निसामयंता, सम्मं सगासे मुणिपुंगवाणं / / पावेंति कल्लाणपरंपराओ, गुणंधरा हुंति वयंति सिद्धिं // 3 // समणोवासगो. तत्थ, मिच्छत्ताओ पडिक्कमे / दव्वओ भावओ पुव्रि, सम्मत्तं पडिवज्जइ // 4 // न कप्पए से परतित्थियाणं, तहेव तेसिं चिय देवयाणं / परिग्गहे ताण य चेइयाणं, परभावणा-वंदण-पूयणाइं // 5 // लोगाण तित्थेसु सिणाण दाणं, पिंडप्पयाणं हुणणं तवं च / संकंति-सोमग्गहणाइएसुं, पभूयलोगाण पवाहकिच्चं // 6 // पंचेव सम्मत्तविभूसणाई, हवंति पंचेव य दूसणाई / लिंगाइँ पंच च(च्च)उ सद्दहाण, छच्छिंडिया छच्च हवंति ठाणा // 7 // कोसल्लया मो जिणसासणम्मि, पभावणा तित्थनिसेवणा य / भत्ती थिरत्तं च गुणा पसस्था, सम्मत्तमेए हु विभूसयंति // 8 // संका य कंखा य तहा विगिछा कुतित्थियाणं पयडा पसंसा / अभिक्खणं संथवणं च तेसिं, दूसंति सम्मत्तमिमे हु दोसा॥ 9 // सुहावहा कम्मखएण खंती, संवेग णिव्वेय तहाऽणुकंपा / अत्थित्तभावेण समं जिणिंदा, सम्मत्तलिंगाइमुदाहरंति // 10 // जीवाइवत्थूपरमत्थसंथवो, सुदिट्ठभावाण जईण सेवणा / दूरेण वावण्ण-कुदिट्ठिज्जणा, चउव्विहं सद्दहणं इमं भवे // 11 //
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