Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 06
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 10
________________ // 2 // // 3 // // 4 // // 5 // स्वामिसमन्तभद्राचार्यविरचितम् ॥जिनशतकम् // श्रीमज्जिनपदाभ्याशं प्रतिपद्यागसां जये। कामस्थानप्रदानेशं स्तुतिविद्यां प्रसाधये स्नातस्वमलंगम्भीरं जिनामितगुणार्णवम् / पूतश्रीमज्जगत्सारं जना ! यात क्षणाच्छिवम् धिया ये श्रितयेता. यानुपायान्वरानतः / ये पापा यातपारा ये श्रियायातानतन्वत आसते सततं ये च सति पुर्वक्षयालये / ते पुण्यदा रतायातं सर्वदा माभिरक्षत नतपीलासनाशोक सुमनोवर्षभासितः / भामण्डलासनाशोकसुमनोवर्षभासितः : दिव्यैर्ध्वनिसितच्छत्रचामरैर्दुन्दुभिस्वनैः / . दिव्यैर्विनिर्मितस्तोत्रश्रमदर्दुरिभिर्जनैः यतः श्रितोपि कान्ताभिदृष्टा गुरुतया स्ववान् / वीतचेतोविकाराभिः स्रष्टा चारुधियां भवान् विश्वमेको रुचामाको व्यापो येनार्य वर्त्तते / शश्वल्लोकोपि चालोको द्वीपो ज्ञानार्णवस्य ते श्रितः श्रेयोप्युदासीने यत्त्वय्येवाश्नुते परः। . क्षतं भूयो मदाहाने तत्त्वमेवाचितेश्वरः भासते विभुतास्तोना ना स्तोता भुवि ते सभाः / याः श्रिताः स्तुत गीत्या नु नुत्या गीतस्तुताः श्रिया स्वयं शामयितुं नाशं विदित्वा सन्नतस्तु ते / चिराय भवते पीड्यमहोरुगुरवेऽशुचे // 6 // // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 //

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