Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ तब्बीजाइकमो वि य 5 तं पुण सम्मत्तमेव विन्नेओ 6 / दाणविही य तओ खलु 7 परमो पूयाविही चेव 8 // 12 // सावगधम्मो य तओ 9 तप्पडिमाओ य हुति बोद्धव्वा 10 / जइधम्मो इत्तो पुण 11 दुविहा सिक्खा य एयस्स 12 // 13 // भिक्खाइ विही सुद्धो 13 तयंतराया असुद्धिलिंगंता 14 / आलोयणाविहाणं 15 पृच्छत्ता सुद्धिभावो य 16 // 14 // तत्तो जोगविहाणं 17 केवलनाणं च सुपरिसुद्धं ति 18 / / सिद्धविभत्ती य तहा 19 तेसिं परमं सुहं चेव 20 . // 15 // . एए इहाहिगारा वीसं वीसाहिं चेव गाहाहि / फुडवियडपायडत्था नेया पत्तेय पत्तेयं // 16 // एए सोऊण बुहो परिभावंतो उ तंतजुत्तीए / पाएण सुद्धबुद्धी जायइ सुत्तस्स जोगं त्ती // 17 // मज्झत्थयाइ नियमा सुबुद्धिजोएण अत्थियाए य / नज्जइ तत्तविसेसो न अन्नहा इत्थ जइयव्वं . // 18 // गुणगुरुसेवा सम्मं विणओ तेसिं तदत्थकरणं च / साहूणमणाहाण य सत्तणुरूवं निओगेणं // 19 // भव्वस्स चरमपरियट्टवत्तिणो पायणं (णिणो) परं एयं / / एसोऽवि य लक्खिज्जइ भवविरहफलो इमेणं तु . // 20 // // 2 // अनादिविंशिका // पंचत्थिकायमइओ अणाइमं वट्टए इमो लोगो / न परमपुरिसाइकओ पमाणमित्थं पवयणं तु धम्माधम्मागासा गइठिइअवगाहलक्खणा एए। जीवा उवओगजुया मुत्ता पुण पुग्गला णेया - . // 21 // // 22 //

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 326