Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // तह चेव धम्मविज्जो एत्थ असज्झाण जो उ पव्वज्जं / भावकिरिअं पउंजइ तस्स वि उवमा इमा चेव / जिणकिरिआए असज्झा ण इत्थ लोगम्मि केइ विज्जंति / जे तप्पओगजोगा ते सज्झा एस परमत्थो एएसिं वयपमाणं अट्ठ समाउ त्ति वीअरागेहिं / भणियं जहन्नयं खलु उक्कोसं अणवगल्लो त्ति तदहो परिभवखित्तं ण चरणभावो वि पायमेएसि!। आहच्चभावकहगं सुत्तं पुण होइ नायव्वं केई भणंति बाला किल एए वयजुआ वि जे भणिया। खुड्डगभावाउ च्चिय न हुंति चरणस्स जुग्गु त्ति अन्ने उ भुत्तओगाणमेव पव्वज्जमणहमिच्छंति / संभावणिज्जदोसा वयम्मि जं खुड्डगा होंति विण्णायविसयसंगा सुहं च किल ते तओऽणुपालंति / कोउअनिअत्तभावा पव्वज्जमसंकणिज्जा य धम्मत्थकाममोक्खा पुरिसत्था जं चयारि लोगम्मि / एए अ सेविअव्वा निअ निअ कालम्मि सव्वे वि तहऽभुत्तभोगदोसाकोउगकामगहपत्थणाईआ / एएवि होंति विजढा जोग्गाहिगयाण तो दिक्खा भण्णइ खुड्डगभावो कम्मखओवसमभावपंभवेणं / चरणेण किं विरुज्झइ ? जेणमजोग्ग त्तिऽसग्गाहो तक्कम्मखओवसमो चित्तनिबंधणसमुब्भवो भणिओ। न उ वयनिबंधणो च्चिय तम्हा एआणमविरोहो गयजोव्वणा वि पुरिसा बालु व्व समायरंति कम्माणि / दोग्गइनिबंधणाई जोव्वणवंता वि ण य केइ // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 // // 59 //

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 310