Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 12
________________ णाणाइलाभओ खलु दोसा हीयंति वड्डई चरणं / इअ अब्भासाइसया सीसाणं होइ परमपयं // 24 // एआरिसा इहं खलु अण्णेसिं सासणम्मि अणुरायो। बीअं सवणपवित्ती संताणे तेसु वि जहुत्तं // 25 // इय कुसलपक्खहेऊ सपरुवयारम्मि निच्चमुज्जुत्तो। सफलीकयगुरुसद्दो साहेइ जहिच्छिअं कज्जं // 26 // विहिणाणुवत्तिआ पुण कहिंचि सेवं ति जइ वि पडिसिद्धं / आणाकारि त्ति गुरू न दोसवं होइ सो तह वि // 27 // आहऽण्णसेवणाए गुरुस्स पावंति नायबज्झमिणं / आणाभंगाउ तयं न य सो अण्णम्मि कह बझं ? // 28 // तम्हाणुवत्तियव्वा सेहा गुरुणा उ सो अ गुणजुत्तो। अणुवत्तणासमत्थो जत्तो एआरिसेणेव // 29 // कालपरिहाणिदोसा इत्तो एक्काइगुणविहीणेणं / अन्नेण वि पव्वज्जा दायव्वा सीलवंतेण . // 30 // गीतत्थो कडजोगी चारित्ती तहय गाहणाकुसलो / अणुवत्तगोऽविसाई बीओ पव्वावणायरिओ // 31 // पव्वज्जाए अरिहा आरियदेसम्मि जे समुप्पन्ना। जाइकुलेहिं विसुद्धा तहखीणप्पायकम्ममला // 32 // तत्तो अ विमलबुद्धी दुल्लहमणुअत्तणं भवसमुद्दे / जम्मो मरणनिमित्तं चवलाओ संपयाओ अ // 33 // विसया य दुक्खहेऊ संजोगे निअमओ विओगु त्ति / पइसमयमेव मरणं एत्थ विवागो अ अइरुद्दो एवं पयईए च्चिअ अवगयसंसारनिग्गुणसहावा / तत्तो अ तव्विरत्ता पयणुकसायाप्पहासा य // 35 / // 34 //

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