Book Title: Sharirik Mimansa Bhashye Part 02
Author(s): A V Narsimhacharya
Publisher: A V Narsimhacharya

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूत्राणि. तानि परे तथाह्याह तुल्यं तु दर्शनम् तृतीयशब्दावरोधस्संशोक तेजोऽतस्तथाह्याह व्यात्मकत्वात्तु भूयस्त्वात् द दर्शनाच दर्शनाच दर्शनाच्च दर्शयतश्चैवं प्रत्यक्षानुमाने दर्शयति च दर्शयति च दर्शयति चाथो अपि स्मर्यते देवादिवदपि लोके देहयोगद्वा सोऽपि द्वादशाहवदुभयविधं बाद ध. धर्मे जैमिनिरत एव ध्यानाच न. न कर्माविभागादिति चेन्नान च कर्तुः करणम् न च कार्ये प्रत्यभिसंधिः न च पर्यायादप्यविरोधो न चाधिकारमपि पतन तु दृष्टान्तभावात् न तृतीये तथोपलब्धेः न प्रतीके नहि सः प्रयोजनवत् न वा तत्सहभावाश्रुतेः न वा प्रकरणभेदात्परोवरीन वायुक्रिये पृथगुपदेशानवा विशेषात् www.kobatirth.org अ सं. पा. सं. सू.सं. > mm m ४ meme > om om mom mov mero ㄨˋ ४ 17 X ४ ४४४४ me m x mm ४ ox or ma २ 2 or १ m १ १४ ९ २१ १० २० ६४ १२ २० ૪ २२ १७ ६ २५ ३९ ८ ३५ ४० १३ ४१ ८ २१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८ ५ २२१ १२ ४८९ For Private And Personal Use Only शा-भा. वे सा. वे दी. पु.सं. पु.सं. पु.सं. ४३६ ३५८ २०९ १२९ १९५ २०८ ३५० ४५९ ४८८ २६४ २८६ २३३ १० २५७ ४१० ६६ ११५ ४५९ १०८ ३८७ १३ २०८ ४०७ ६४ ३४९ २६८ १७६ २८६ ४३६ | ४३६ ३६५ | ३६८ २१० २१२ १३३ | १३४ १९८ | २०० २१० २११ ३५१ ३५३ ४६२ ४६४ ४९२ ४९३ २६५ | २६६ २८७ २५७ २३९ | २४३ १७ १९ ५८ ५९ २२२ | २२४ ४८३ | ४८४ २५९ | २६१ ४११ |४११ ६७ ६८ १२१ १२२ ४६१ | ४६४ १०९ ११० ३८९ | १९० १८ २० २०९ | २११ ४०८ ૪૦૮ ६७ . ३५१ | ३५३ २७० | २७२ ३७८ | १७९ २८६ २८७

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