Book Title: Sharavkachar Sangraha Part 5
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 419
________________ ३९२ श्रावकाचार-संग्रह पदम कविने अपने श्रावकाचार की प्रशस्तिमें जिन आचार्यों, भट्टारकों एवं ब्रह्मचारियोंका उल्लेख किया है । उनके नाम इस प्रकार है आचार्य-१. आ० कुन्दकुन्द, २. समन्तभद्र, ३. जिनसेन, ४. गुणभद्र, ५. अकलंक, ६. अमृतचन्द्र, ७. प्रभाचन्द्र, ८. वसुनन्दि । पंडित-आशाधर। भट्टारक-१. पद्मनन्दी, २. सकलकीति, ३. भुवनकोति, ४. ज्ञानभूषण, ५. विजयकीर्ति, ६. शुभचन्द्र, ७. कुमुदचन्द्र ।। गुरुजन-आम्नाय गुरु-शुभचन्द्र । आगम गुरु-विनयचन्द्र। अध्यात्मगुरु-कर्मश्री ब्रह्म। शिक्षागुरु-हीरब्रह्मेन्द्र । श्रावकाचारके आधारभूत ग्रन्थोंके नाम १. स्वामी समन्तभद्रका रत्नकरण्ड श्रावकाचार । २. आचार्य वसुनन्दीका श्रावकाचार । ३. पं० आशाधरका सागारधर्मामृत । ४. श्री सकलकोत्तिका प्रश्नोत्तर श्रावकाचार । पदम कविने त्रेपन क्रियाओंके वर्णनका आधार किसी ग्रन्थको न बता करके श्रेणिकके प्रश्न पर गौतमके द्वारा श्रावकके सम्पूर्ण आचारका वर्णन कराया है। जैसा कि इसकी मंगलाचरणके पश्चात् दी गई उत्थानिकासे प्रकट है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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