Book Title: Shakalarka Samhita Saparishishta
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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋ. मं. अ.अ.१ योरेन्द्रावरुणयुवाकुपादनिचूतौसोमानमितिपञ्चब्राह्मणस्पत्याश्चतुर्थ्यामिन्द्रश्चसोमश्वपञ्चम्यांदक्षिणा- चान्याःसादसस्पत्यानाराशंसीवान्त्याप्रतित्यमाग्निमारुतम् // 1 // . अग्निं नव वैश्वामित्रोमधुच्छन्दाअग्निर्गायत्री। | 1 ॐ अग्निमीळेपुरोहितंयज्ञस्य॑देवमृत्विजम् / होतारंरत्नधातमम् 1 अग्निःपूर्वेभिर्ऋषिभिरीड्योनूतनैरुत / सदेवाएहर्वक्षति 2 अग्निनारयिमभवपोषमेवदिवेदिवे / यशवीरवत्तमम् 3 अग्ने॒यंयज्ञमध्वरंविश्वतःपरिभूरसिं / सइद्देवेभुंगच्छति 4 अग्निहोतकविक्रतुःसत्यश्चित्रश्रवस्तमः / देवोदेवेभिरागमत् 5 // 1 // यदंगदाशुषेत्वमग्नेभद्रंकरिष्यसि / तवेत्तत्सत्यमगिरः 6 उपत्वाग्नेदिवेदिवेदोषावस्तर्धियावयम् / नमोभरन्तएम॑सि 7 राजन्तमध्वरागांगोपामृतस्यदीदिविम् / वर्धमानंस्वेदमे 8 सनःपितेर्वसूनवेग्नैसूपायनोभव सचस्वानःस्वस्तये 9 // 2 // For Private and Personal Use Only

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