Book Title: Shakahari Aharo se Urja Author(s): Madhu A Jain Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf View full book textPage 7
________________ शाकाहारी आहारों से ऊर्जा २८५ सारणी ६. शाकाहारी एवं मांसाहारी खाद्य-घटकों के कैलोरी-मूल्य प्रति पैसा खाद्य घटक मांसाहारी शाकाहारी गोपालन भा.चि.प. १२५ पैसा १३४ ३२५ २.४ ४.५० ४०० ३.०० २.० १. कार्बोहाइड्रेट २. प्रोटीन ३. वसा ४. फल/शाक जैन १२७ २., ४५० २२० राब अमेरिका १३७ २२ २०१८ मक्का, यीस्ट, काई, अल्फाल्फा आदि के समान गैर-परम्परागत शाकाहारी स्रोतों से नये-नये खाद्यों का विकास कर " रहे हैं।' शासन स्वयं भी इस ओर ध्यान दे रहा है और उसकी एजेन्सियों ने भी अनेक बहु-उद्देश्यीय सस्ते खाद्यों का विकास किया है। उन्होंने मूंगफली, मक्का, चना और सोयाबीन के आटे तथा दुग्ध-चूर्ण से उच्च प्रोटीनी पीईएम खाद्य तैयार किया है। मक्का, सोर्घम एवं विनोले के आटे से मध्य अमेरिका में इनकेप्रिना नामक खाद्य विकसित किया गया है। इनकी सुस्वादुता उत्साहवर्धक पाई गई है। इन खाद्यों का ऊर्जामान एवं प्रोटीनमान पर्याप्त उच्च होता है। विभिन्न देशों में स्कूली भोजन या मध्याह्न भोजन के समय इन्हें दिया जा रहा है। यही नहीं, आहारशास्त्री तो पेट्रोलियमस्रोतों से १:३ ब्यूटेन डायोल तथा २.३ डाइमेथिल हैप्रानोइक अम्ल के समान ६ कै०/ग्राम के समान सान्द्रित ऊर्जा वाले कार्वोहाइड्रेट-प्रतिस्थापी खाद्यों के विकास की दिशा में काम कर रहे हैं। इस प्रकार, वे कृषि पर आधारित खाधों पर निर्भरता को कम करने के प्रयत्न में लगे हैं। आज के अन्तरिक्ष-युग में ऐसे सान्द्रित-ऊर्जा के खाद्यों की महती आवश्यकता है ।१२ दुग्क-शाकाहारी खाद्यों के सम्बन्ध में उपरोक्त तथ्य एवं विकास जैनों की इस धारणा को बल देते हैं कि शाकाहार न केवक एक धार्मिक विश्वास है अपितु यह स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घजीवन के लिये तुलनात्मकतः सरल एवं वैज्ञानिकतः समर्थ आहार तन्त्र है। इसके प्रचार हेतु आयोजित होने वाले अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की लोकप्रियता भी इस तथ्य का प्रमाण है। ५. कैलोरीमान का अर्थशास और आहार-मानों में प्रबलन किसी भा आहार के ऊर्जामानों के विकास का अर्थ उससे उत्पन्न कैलोरियों के अर्थशास्त्र से सम्बन्धित है । खाद्यों की प्रत्येक कोटि से प्राप्त होने वाली कैलोरी का विशिष्ट मूल्य होता है। सारणी ४ से स्पष्ट है कि हमारे आहार का लगभग २/३ कैलोरीमान कार्बोहाइड्रेटी खाद्यों से प्राप्त होता है। ये सस्ते होते हैं, इसलिये इन्हें "निस्सार कैलोरी समूह' कहते हैं । उपरोक्त प्रस्तावित भोजनों के मूल्य विश्लेषण से स्पष्ट है कि कार्बोहाइड्रेटी कैलोरियां एक पैसे में १२-१३ तक प्राप्त होती हैं। इसके विपर्यास में, प्रोटीन एवं शाकों से प्राप्त कैलोरी लगभग छह गुनी मंहगी होती है२-२.४ २०/पसा । वसीय कैलोरी तिगुनी मंहगी पड़ती है-४ के०/पैसा । इस कैलोरी-मूल्य से ज्ञात होता है कि यदि हमें आहार की कैलोरी बढ़ाना है, तो अन्न अधिक खाना चाहिये । इसी प्रकार, यदि हमें मोटापा कम करना है, तो हमें अन्न कम और प्रोटीन अधिक खाना चाहिये । इस दृष्टि से मांसाहारी प्रोटीन की कैलोरी बहुत मंहगी है। यही बात इस कोटि की शाक कैलोरी की है ।'3 इसीलिये मांसाहारी भोजन, शाकाहारी भोजन से मंहगा होता है। यह देखा गया है कि शाकाहारी प्रोटीन, मांसाहारी प्रोटीन की तुलना में १/२-१/३ सस्ता होता है। इस प्रकार भोजन का मूल्य इसके प्रोटीन पर निर्भर करता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का भी यही निष्कर्य है लेकिन वहाँ वसीय कैलोरी कुछ सस्ती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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