Book Title: Shahvirana Sukrut Varnan ni Prashasti Chaupai
Author(s): Pradyumnavijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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________________ (38) भ / श्री महिमाप्रभसूरिस्तत्पट्टे / भ / श्री भावप्रभसूरीणामुपदेशात् कृत महामहोत्सवेन प्रतिष्ठापितश्च / इति श्री सहस्सकोट प्रशस्ति : हेठई लिखी छइ परकरें / देशी कडखानी // जास सुपसाय कविराय हिवइ वर्णवइ / नगर सोभनीकनी कीर्ति सुणोइ।।१।।सक० श्री श्रीमाल सुविशाल वंशइवरु। दोसी श्री तेजसी तेजि दिपई। नगर सणगार महाजन शिर सेहरो / वांकडां वइरीयांने जे जीपइ / / 2 / / निज परीयागत रीतराखण भणी / असार संसारमा सार जांणी / सफल निज जन्म करवा भवी तारवा / वारवा सयल दुरगति खाणी // 3 / / पारसनाथ जगनाथ आदि सहुँ / सहस्स पित्तलमयबिंब वारु। सहस्सकोटि नाम तीर्थ करावीउं / रूप सौवर्ण दीसइ दीदारू / / 4 || सत्तर चिमोत्तरइ ज्येष्ठ सुदि आठमि / वार सोमई सहु संघ युक्तई / प्रतिष्ठा करावी घरि घणई महोत्सवइ / सुगुरु श्री भावप्रभसूरि भक्तिं // 5 // संघ सन्मान बहुदान याचक भणि / तपजप पुण्यनी रीति पोषो / दोशी श्री जयतसी सुपुत्र सोहामणो / दूर गया हिवइ पाप दोषी / / 6 / / धन धन मात रामां जिणई जनमोओ / पुंनिम गच्छ प्रभावकारी / कहइ शांतिदास अरदास सुणो सेठजी / सकल जंतु तणो तुं उपगारी / / 7 // सं. 1656 कुंभारीया पोलैं सोनी अमीचंदई आदिनाथनो प्रासाद कराव्यो / सोनी अमीचंद / सुत / सो. ऋषभदास / सुत / सो. शांतीदास / सुत / सो. सामलासक्ल / अमर। लखो / सुंदर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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