Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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१६५४
शब्दरत्नमहोदधिः ।
मतङ्गज, मत्तकीश पुं. ( मतङ्गः मेघ इव जायते | मत्कुणा स्त्री. ( मत्कुण+अच्+टाप्) भेनी योनि उपर
जन् + ड / मत्तः सन् कीशो वानर इव) हाथी न हि कमलिनो दृष्ट्वा ग्राहमवेक्षते मतङ्गजः- मालवि० ३ | मतङ्गजी, मत्तकीशी स्त्री. ( मतङ्गज + स्त्रियां जाति ङीष् / मत्ती स्त्रियां जाति ङीष्) हाथी. मतङ्गवापी (स्त्री.) ते नामनुं खेड तीर्थ. मतल्लिका स्त्री. ( मतं मतिमलति भूषयति, ण्वुल्+टाप् पृषो.) प्रशस्त, उत्डृष्ट-उत्तम. भ- गोमतल्लिका -
વાળ ઊગ્યા ન હોય તેવી સ્ત્રી. मत्कुणारि पुं. ( मत्कुणानामरिः) लांग. मत्कुणिका (स्त्री.) अर्तिस्वामीनी अनुयर रोड मातृडा. मत्त पुं. (माद्यति, मद् + कर्त्तरि क्त) महोन्मत्त हाथी, धंतूरी, डोयल, पाडी. (त्रि मद् + क्त) छडे, गांडु हर्ष पामेनुं, महवाणुं- ज्योत्स्नापानमदालसेन वपुषा मत्ताश्चकोराङ्गनाः- विद्ध० १ | ११ | - प्रभामत्तश्चन्द्रो जगदिदमहो बिभ्रमयति-काव्य० १० । - ते पीत्वा मदिरां मत्ताः कृत्वा युद्धं परस्परम्- देवीभाग० २।८ । ४१ । વરંડો, ઉંબરો, મકાનનો સજાવેલો બહા૨નો ભાગ. मत्तकाशिनी, मत्तकासिनी स्त्री. (मत्तेव क्षीवेव- काशते
श्रेष्ठ गाय
मतानुज्ञा स्त्री. ( मतस्य अनुज्ञा ) न्यायशास्त्र प्रसिद्ध એક નિગ્રહસ્થાન.
मताभिमान पुं. ( मतस्य अभिमानः) भतनुं अभिमान. मति स्त्री. ( मन्+भावे क्तिन्) ज्ञान, बुद्धि- मतिरेव बलाद् गरीयसी - हितो० २।८६ । क्व चाल्वविषया मतिः-रघु० १।२। भानवुं ते विधिरहो ! बलवानिति मे मतिः- भर्तृ० २।९१ । भन मम तु मतिर्न मनागपैतु धर्मात् भामि० ४ । २६ । ६२७/- प्रायोपवेशन मतिर्नृपतिर्बभूव रघु० ८ । ९४ । स्मृति, सत्कार, यूभ.. (मन् + कर्त्तरि क्तिन्) खेड शा5. मतिद त्रि. ( मतिं ददाति दा+क) बुद्धि आपनार मतिदा स्त्री. (मति द्यति, दो+क+टाप्) भासांडली. मतिनीर (पुं.) ते नामनो खेड राभ मतिप्रकर्ष पुं. (मतेः प्रकर्षः) बुद्धिनी श्रेष्ठता अधिडता, मोटाई.
मतिभ्रम, मतिभ्रंश पुं., मतिभ्रान्ति स्त्री. ( मतेर्भ्रमः / मतेभ्रंशः / भ्रम्+भावे क्तिन्, मतेर्भ्रान्ति) बुद्धि इ२वी ते, बुद्धियां भ्रम थवो उन्माद थवो ते. मतिमत् त्रि. (मति + अस्त्यर्थे मतुप् ) बुद्धिमान, ज्ञानी. मतिविभ्रम पुं. ( मतेर्विभ्रमोऽत्र) उन्माद रोग, बुद्धियां ભ્રમ કરનારો રોગ.
मतुख (त्रि.) भत गानार बुद्धिमान, मक्क पुं. ( मद् + क्विप् स्वार्थे क) भांड3. (त्रि. ममेदम्, कन् मदादेश:) भारुं, भारा संबंधी- संशृणुष्व कपे ! मत्कैः संगच्छस्व वनैः शुभैः- भट्टि० ८ । १६ । मत्कुण पुं. (माद्यति मद् + क्विप्, कुणति कुण्+क मच्चासौ कुणश्च भiss - मत्कुणाविव पुरापरिप्लवौशिशु० १४ । ६८ । ६ांत विनानी हाथी, भूछ विनानी पुरुष, नामियेर, भंधनुं जप्तर.
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[मतङ्गज-म
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- मत्सगण्ड
गच्छति वा णिनि पृषो ह्रस्वः / मत्तेव क्षीवेव कसति, कस् + णिनि ङीप् ) उत्तम स्त्री. मत्तदन्तिन्, मत्तवारण पुं. (मत्तश्चासौ दन्ती चमत्तश्चासौ
वारणश्च) गांडो महोन्मत्त हाथी. मत्तदन्तिनी स्त्री. (मत्तदन्तिन् + स्त्रियां ङीप् ) गांडी हाथी. मत्तमयूर पुं. ( मत्तो मयूरो यस्मात्) भेघ, गांडी भोर,
તેર અક્ષરના ચરણવાળો એક છન્દ मत्तवारण न., मत्तालम्ब पुं. (मत्तं वारयति, वृ+णिच् + ल्यु / मत्तैरालम्ब्यते, आ + लबि+कर्मणि घञ्) भलेलने इरीवा - दिव्यधराधरभूरिव राजति मत्तवारणोपेताकुट्टिनीमते ९ । सोपारीनो लूझे. मत्ता स्त्री. ( मत्तं मदोऽस्त्यस्यां अच्+टाप्) ६३, ६ अक्षरना थरवाजो खेड छन्- ज्ञेया मत्ता मभसगसृष्टाछन्दोमञ्जर्याम् ।
मत्ताक्रीडा (स्त्री.) तेर अक्षरना यरशवाजी खेड छन्द. मत्तेभगमना स्त्री. (मत्त + इभस्तद्वत् गमनं यस्याः) મસ્ત હાથીની જેમ ચાલવાળી સ્ત્રી. मत्तेभविक्रीडित न. (मत्तेभस्य विक्रीडितिम्) महोन्मत्त हाथीनी डीडा-रमत (न.) खेडवीस अक्षरना ચરણવાળો એક છન્દ.
मत्पर त्रि. (मयि परः) भारामां तत्पर, भारामां आसत. मत्य न. ( मते समीकरणे साधुः यत्) भेउबा जेतरने સપાટ કરવાનું સાધન, દાતા વગેરેની મૂઠી. मत्स पुं. ( मद्+स) भाछसुं, मत्स्य. मत्सगण्ड पुं. (मत्सेन गण्डो लेपोऽत्र) माछसांनुं खेड પ્રકારનું શાક.
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