Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 32 Oghniryukti Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 12
________________ आगम (४१/१) [भाग-३२] “ओघनियुक्ति”- मूलसूत्र-२/१ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) मूलं [-]."नियुक्ति: -1 + भाष्यं -1 + प्रक्षेपं -" . पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४१/१]मूलसूत्र-[२/१ ओघनियुक्ति मूलं एवं द्रोणाचार्य-विरचिता वृत्ति: प्रत गाथांक नि/भा/प्र ||-|| ॥ अहम् ॥ अनूनश्रुतकेवलिश्रीमद्भद्रबाहुस्वामिमित्रैरुद्धृता अखण्डपाण्डित्ययुतश्रीद्रोणाचार्यकृतविवृतियुता श्रीओघनियुक्तिः EXCECAROSASSA दीप नमो अरहताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उबज्झायाण, णमो लोए सबसाहणं, एसो पंचनमुकारो, सबपाचप्पणासणो। मंगलाणं च सवेसिं, पढम हवा मंगलं ॥१॥ अर्हद्भयस्त्रिभुवनराजपूजितेभ्यः, सिद्धेभ्यः सितघनकर्मबन्धनेभ्यः । आचार्यश्रुतधरसर्वसंयतेभ्यः, सिद्ध्यर्थी सततमहं नमस्करोमि ॥ १॥ प्रक्रान्तोऽयमावश्यकानुयोगः, तत्र च सामायिकाध्ययनमनुवर्तते, तस्य च चत्वार्यनुयोगद्वाराणि द भवन्ति महापुरस्येव, तद्यथा-उपक्रमः निक्षेपः अनुगमः नय इति, एतेषां चाध्ययनादौ उपन्यासे इत्थं च क्रमोपन्यासे प्रयोजनमभिहितम् , तत्रोपक्रमनिक्षेपावुक्ती, अधुनाऽनुगमावसरः, स च द्विधा-निर्युक्त्यनुगमः सूत्रानुगमश्च, तत्र नियुत्यनुगमस्त्रेधा-निक्षेपोपोद्घातसूत्रस्पर्शनियुक्त्यनुगमभेदात् , तत्र निक्षेपनियुक्त्यनुगमोऽनुगतो वक्ष्यमाणश्च,उपोद्घातनिर्यु SS FurcumamalAmateuo Dsh ... नमस्कार महामंगलं एवं प्रस्तावना ~ 12~

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