Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 7 www.kobatirth.org तिजयपहुत्त स्तोत्र - ४ तिजय-पहुत्त पयासय, अट्ठ- महापाडिहेर जुत्ताणं; समयक्खित्त-ठिआणं, सरेमिचक्कं-जिणिदाणं पणवीसा य असीआ, पनरस पन्नास जिणवर समूहो; नासेउ सयल-दुरिअं भविआणं भत्ति - जुत्ताणं वीसा पणयाला विय, तीसा पन्नत्तरी जिणवरिंदा: गहभूअरक्खसाइणी-घोरुवसग्गं पणासंतु. सत्तरि पणतीसा वि य, सट्टी पंचेव जिणगणो एसो वाहिजलजल णहरिकरि-चोरारिमहाभयं हरउ. पणपन्ना य दसेव य, पन्नठी तह य चेव चालीसा; रक्खंतु मे सरीरं देवासुर- पणमिया सिद्धा. ॐ हरहुंहः सरसुंसः, हरहुंहः तह य चेव सरसुंसः, आलिहियनामगव्यं, चक्कं किर सव्वओभद्दं. ॐ रोहिणी पन्नत्ती, वज्जसिंखला तह य वज्जअंकुसिआ; चक्केसरी नरदत्ता, कालि महाकालि तह गोरी . गंधारी महजाला, माणवि वइरुट्ट तहय अच्छुत्ता; माणस महमाणसिआ, विज्जादेवीओ रक्खंतु. पंचदसकम्मभूमिसु, उप्पन्न सत्तरी जिणाण सयं; ५ 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only १ ६ ७ ८

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