Book Title: Sarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo Author(s): Publisher: Unknown View full book textPage 7
________________ रोमन मनुष्योना सूक्ष्म सत्यम पोषल वाउहे शांत मांना नडुनेदार +2 सत्यालयश्रीमान सुप भने वर सापनार ज्ञानमुहान भने सोभा राथ इतके राथणां इस्याण्डारिएन पुसिका -पोधने धारण + 2m, को हाथ मां +मजने, इंस बाम सट्टह ny, निधि ने मन्द्र-जिना मरhi रोल, यर यथ याला हंसल आदि पर समायन्द्रका मूर्ति भेन विभयत દરની કાંતિવાળા, ડાબા રપ વડે પબંને ને જાણા ગુસ્સાને नमक जान जा राधी पडेगा उसने य-मानी धायण डरल, घयण 4स्त्रया मुला-मायनों रिकार sma आागज र छ, त दिया राय धियायला (सारभ) हम ध्यान 18 हस्ता बिभ्रती पत्र-पुस्तिकाण तथेतराभ्यां वीणा Sअ-मालिक श्वेतवासकी उस्मीर उद्गिरन्नी मुयाला- देनामझरमालिकाम् | ध्यायेद् यो ऽग्रस्थितां सेव, लजडीऽपि कविर्भचेक 11800 2+ जिमप्रशवर देना 'श्रीशारदा सावन' मौक्तिका अवळ्या नकच्छपी पुस्तकाङ्कितको पशोभिते! पत्रबासिनि ! हिमोज्जगला! वाग्बादिनि ! प्रभव जो मोलन्न सक्षमाला,दुमन, करमा भने पुस्तकथन मुक्त हाथ की शोलली, भवच्छिदे ॥ ३ ॥ तवासिनी, रिम-जरूदूना समान - श्वेत भार्गवात, हे सरस्यतिः समारा नानाशा 19. 6 साधी शिवाय कृता' पहिल सिसारस्वत स्व ' हस्ते ड्रादिपुस्तिका विदधती पत्रको चापरे लोकानां सुखदं प्रभूतवरद सज्ज्ञानमुद्र परे हैं । बालमृणालकदललसल्लीला विलोल करे प्रख्याता श्रुतदेवता विदधती सुक्षां नृणां सुन्नृतम् "9/1 Ahy की 2104/16Page Navigation
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