Book Title: Sanskrut Nibandh Shatakam
Author(s): Kapildev Dvivedi
Publisher: Vishvavidyalay Prakashan

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Page 7
________________ निबन्ध - संख्या १५. नास्ति योगसमं बलम् क. योग-तत्त्वमीमांसा १६. ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या क. सर्वं खल्विदं ब्रह्म ( ६ ) विषया: (३) काव्यशास्त्रीया निबन्धाः १७. वाक्यं रसात्मकं काव्यम् क. काव्यलक्षणम् १८. वक्रोक्तिः काव्यजीवितम् क. काव्यं हि वक्रोक्तिप्रधानम् १९. रीतिरात्मा काव्यस्य २०. काव्यस्यात्मा ध्वनिः क. ध्वनिसिद्धान्तः २१. विभावानुभाव-व्यभिचारि-संयोगाद् रसनिष्पत्तिः क. रस-सिद्धान्तः ख. रसो, वे सः २२. वैदर्भी ललितक्रमा क. समग्रगुणा वैदर्भी २३. शब्दार्थयोः समो गुम्फः पाञ्चाली रीतिरिष्यते २४. काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते क. अलंकार - संप्रदायः २५. सत्यं शिवं सुन्दरम् २६. एको रसः करुण एव २७. शब्दशक्तयः ( ४ ) साहित्यिका निबन्धाः २८. कालिदास्य सर्वस्वमभिज्ञानशाकुन्तलम् क. नाटकेषु शकुन्तला २९. उपमा कालिदासस्य ३०. भारवेरथंगौरवम् ३१. दण्डिनः पदलालित्यम् ३२. माघे सन्ति त्रयो गुणाः क. मेघे माघे गतं वयः क. नारिकेलफलसंमितं वचो भारवेः पृष्ठाङ्काः ५१ ५४ ५७ ६१ ६४ ६७ ७१ ७५ ७७ ७९ ८२ ८५ ८९ ९३ ९८ १०३ - १०८ ११२

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