Book Title: Sankhyavachak Shabdakosh Author(s): Vijayjinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ मने उतारी आपी. तेने १८ वर्ष थांबण जरूरी हतु अने संशोधन सुधारो वधारो करीने तेने संख्यावाचक शब्दकोष रूपे अहीं संपादन करेल छे. .. मन्दो ने शोषी तेनो अंक मेलववा मा कोष उपयोगी थशे. परन्तु जेम अंक उपरथी शब्दो जोईता होय तेने ते मेलववा कठीन पडे. जेथी आ ज कोष ने कई संख्याना वाचक कया शब्दो छे. ते एक, बे, अण आदिना क्रमथी आखो नवो कोष तैयार करीने पाहता आप्यो छे. जेमने संख्यावाचक शब्दोनो उपयोग करवोहशे तेमने मा एकादि संख्याक्रम शब्दकोष उपयोगी बनशे. मा विसयमा प्रथम ज प्रयत्न के. जेथी विशेष प्रयत्न कर. नारने घणु कार्य परवानो आ कोषमां षणो अवकाश रहेलो के. । नश. २०४३ वैशाख सुद १३ सोमवार ता. ११-५-८७ गढ़डा-स्वामिना जिनेन्द्ररसरि For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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