Book Title: Sanatkumar Charitra
Author(s): Vardhmansuri, Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 224
________________ सान्वय भाषान्तर सार२८॥ सनत्कुमार 6 अर्थ:--शीलरूपी मृलवान, गुणोरूपी थडवाळां, राज्यरूपी पत्रोशळा. अने यशरूपी पुष्पोवाळां, एवां धर्मरूपी कल्पवृक्षमाथी ते आ सनत्कुमार राजा अनुक्रमे मोक्षरूपी फलने पामशे. ।। ६४ ॥ चरित्रं सनत्कुमारशृङ्गारसुन्दरीचरितश्रुतेः । नव्याद्भुतश्रिये भव्याः सेव्यतां शीलभुज्ज्वलम् ॥६५॥ ॥२२८॥ ॥ इति शीलधर्म सनत्कुमारशृङ्गारसुन्दरीकथा ॥ अन्वयः-(हे ) भव्याः! सनत्कुमार श्रृंगारसुंदरो चरित श्रुतेः भव्य अद्भुत श्रिये उज्ज्वलं शीलं सेव्यता? ॥६५॥ अर्थ:-हे भव्यलोको ! ( आ ) सनत्कुमार तथा शृंगारसुंदरीतुं चरित्र सांभळी ने नयी अने आश्चर्यकारक, एवी मोक्षलक्ष्मी मेळवधामाटे ( तमो ) निर्मल शीलने सेयो? ॥६५॥ इति शीलपाहात्म्योपदर्शने सनत्कुमारगारसुंदरी चरित्रं समाप्त ॥ श्रीरस्तु ।। ॥ इति श्रीशीलफलोपदर्शने श्रीसनत्कुमारचरित्रं समाप्तं. आ चरित्र श्रीवर्धमानसूरिविरचित श्रीवासुपूज्यचरित्रनामना महाकाव्यमांथी स्वपरना श्रेय माटे तेना अन्वय तथा गुजराती भाषांतर सहित जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे पोताना श्रीजैनभास्करोदय छापखानामां छापी प्रॐ सिद्ध कर्यु छे. ॥ श्रीरस्तु ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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