Book Title: Samyktvasaptati
Author(s): Sanghtilakacharya, 
Publisher: Naginbhai Ghelabhai Zaveri Mumbai

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Page 15
________________ चतुर्थं सम्यक्त्वभूषणम् सुलसादृष्टान्तश्च ........ १६६ । पञ्चमं सम्यक्त्वभूषणम् सिंहदृष्टान्सच .... .... १६९ (अष्टमोऽधिकारः) सम्यक्त्वलक्षणपंचकम् .... ... प्रथम उपशमाख्यं लक्षणं मेतार्यदृष्टान्तश्च द्वितीयं संवेगाख्यं लक्षणं तत्र दवदन्तोदाहरणं १७६ तृतीय निर्वेदस्वरूपं हरिवाहननृपकथा .. १८३ चतुर्थ अनुकम्पाभिवं लक्षणं जयराजदृष्टांतः .... पंचममास्तिक्यलक्षणं पप्रशेखरकथानकम् .... .... (नवमोऽधिकारः) षधियतनास्वरूपं । ... .... .... .... " । तत्रायद्वये संग्रामसूरदृष्यन्तः तृतीयचतुर्थयतनयोः स्वरूपम् .... .... .... " पंचम्यः षष्ठयाश्च यतनायाः स्वरूपम् अत्र मंत्रितिलककथा (दशमोऽधिकार) षडाकारस्वरूपवर्णनम् .... .... .... १९९-२०० षट्स्वपि आकारेषु मृगाङ्कलेखाचरितम् .... .... (एकादशमोऽधिकारः) भावनाषट्कस्वरूपम् चित्रलेखाकथानकम् तत्र .... २२२ (बादशोऽधिकारः) सम्पक्त्वषट्स्थानानि तत्रार्थे नरसुंदरकथा । ग्रंथसमाप्ती शिक्षासुंदरकथानकम् उपसंहारः-प्रशस्तिश्च । १८५ - - -

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