Book Title: Samyaktva Vimarsh
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 327
________________ सम्यक्त्व महिमा ३०३ यदीयसम्यक्त्वबलात्प्रसीमो भवादृशानां परमस्वभावम् । कुवासनापाशविनाशनाय नमोऽस्तु तस्मै तव शासनाय ? __-हे भगवन् । आपके धर्म शासन के संबंध से उत्पन्न सम्यक्त्व के बल से, हम आप जैसे महापुरुषो के श्रेष्ठ स्वभाव (उत्तम आशय) को जान लेते है। अतएव कुवासना रूपी बन्धन को विनष्ट करने वाले ऐसे आपके शासन को हमारा नमस्कार हो। जिणुत्त तत्ते रुइ लक्खणस्स, णमो णमो णिम्मल-दसणस्स । - 1 मा MANTRA

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