Book Title: Sammati Tark Prakaran Part 01
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Abhaydevsuri
Publisher: Motisha Lalbaug Jain Trust

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Page 688
________________ प्रथमखण्ड-का० १-उपसंहार 655 उपरोक्त चर्चा से यह अब सिद्ध होता है कि मूल कारिका में "आत्मा से कथञ्चिद् अभिन्न अनुपमसुखादिस्वभाववाले स्थान को प्राप्त करने वाले" यह जिनों का विशेषण सर्वथा निर्दोष है / प्रथम कारिका विवरण समाप्त तर्कसम्राट्-आचार्यश्री सिद्धसेनदिवाकरसूरिजोविरचित श्री सम्मति प्रकरण की तर्कपश्चानन आचार्यश्री अभयदेवसूरिजीविरचिततत्त्वबोधविधायिनीव्याख्या का मुनि जयसुदरविजयकृतहिन्दीभाषा विवरण-प्रथमखंड समाप्त हुआ -: प्रथमखंड संपूर्ण :

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